हाल ही में सम्पन्न हुए जी20 शिखर सम्मलेन का सफल आयोजन कर भारत ने दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखा दी। इस दौरान दुनिया के कई शक्तिशाली नेताओं का भारत ने भव्य स्वागत किया। जी20 के सफलता से यदि किसी को सबसे ज्यादा जलन हुई तो वो चीन (China) है। दरअसल, समिट में कुछ ऐसे भी फैसले किये गए जिसके बाद चीन की नींद उड़ जाना तय है। वहीं चीन में इसे लेकर खूब खलबली मची है। हमेशा दुनिया को अपनी अकड़ दिखने वाला चीन अब टेंशन में है। भारत, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमीरात मिलकर एक ऐसा रेल और समुद्री कॉरिडोर तैयार करने जा रहे हैं, जोकि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से कहीं बेहतर है। चीन के वन बेल्ट रोड के जवाब में जी20 में भारत ने मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दिया। सिर्फ यही नहीं जी20 में ऐसे 4 फैसले हुए, जिससे चीन की धौंस, उसकी हेकड़ी निकल जाएगी।
China की धौंस निकालने के लिए गए ये 4 बड़े फैसले
जाहिर है कि भारत के इस सफल आयोजन से चीन में खलबली तो मचेगी ही। यही नहीं अब तो चीन की नाराजगी दिखने भी लगी। चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेंपरी इंटरनेशनल रिलेशन्स ने कहा कि भारत ने जी20 के वैश्विक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए किया। जी-20 में कुछ ऐसे फैसले लिए गए, जो चीन की दादागिरी को खत्म करने के लिए काफी है। भारत और अन्य देशों के बीच हुए इस समझौते ने चीन की हेकड़ी को कम करने का काम किया है। ऐसे ही चार फैसलों के बारे में जानते हैं। जिसमें सबसे बड़ा समझौता इंडिया मिडल ईस्ट-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर है।
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भारत से यूरोप तक पहुंचने का ऐसा रूट तैयार कर लिया गया, जो चीन के बीआरआई रूट का मुंहतोड़ जवाब है। पश्चिमी एशिया होते हुए यूरोप ट्रेड कॉरिडोर बनाने के प्रोजेक्ट पर सहमति बनी है। भारत ने चीन के बीआरआई के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है। इसके तहत रेल, पोर्ट, ट्रांसपोर्ट, हवाई मार्ग, डेटा केबल और दूसरी तकनीकों के ज़रिए तीनों क्षेत्रों को जोड़ने का फ़ैसला हुआ है। इसका असर चीन के दबदबे पर होगा। वहीं भारत के कारोबार में तेजी आएगी।
भारत-अमेरिका की दोस्ती
मालूम हो शी जिनपिंग ने G20 समिट से दूरी बनाई और अपनी जगह प्रधानमंत्री ली चियांग को भेज दिया, लेकिन उसका ये फैसला अब उसपर ही भारी पड़ रहा है। ऐसे में जब भारत और अमेरिकी के बीच बढ़ी नजदीकी चीन को हजम नहीं होगी। चीन और अमेरिका के बीच की तल्खी भी जगजाहिर है, ऐसे में अमेरिका और भारत की दोस्ती चीन के लिए बड़ा झटका है। जी-20 के सफल आयोजन और उसके बाद जारी घोषणापत्र ने भारत को अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देशों के और करीब ला दिया है। अमेरिका से भारत की बढ़ती करीबी चीन का बल्ड प्रेशर तो जरूर बढ़ाएगी।
चीन के निर्यात पर असर
जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारी यानी मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा ने चीन की मंशा पर बड़ा चोट किया है। तीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव यानी बीआरआई को इस कॉरिडोर से बड़ा झटका लगा है। चीन दूसरे देशों में रेल, सड़क, पोर्ट बनाकर एक तरह का कॉरिडोर बनाता है और इसी बहाने उन देशों की सीमाओं में हस्तक्षेप भी करता है। ऐसे में मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर से चीन की इस मंशा को चोट पहुंचेगी। जी20 में भारत और अमेरिका के बीच 6जी टेक्नोलॉजी डेवलव करने पर सहमति बनी है। भारत और अमेरिका के बीच इस डील से चीन के कनेक्टिविटी डिवाइस सेक्टर का दबदबा कम होगा। अब तक 5जी मामले में चीन आगे चल रहा है, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच के इस डील से चीन के इस दबदबे को कम करने में मदद मिलेगी।
बैटरी, लीथियम सेक्टर में भी चीन को झटका
इसके अलावा भारत और अमेरिका के बीच 8300 करोड़ रुपये का रीन्यूएबल इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट फंड बनाने पर सहमति बनी है। इस फंड का इस्तेमाल ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। बैटरी स्टोरेज और ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसका सबसे बुरा असर चीन के बैटरी, लीथियम मार्केट पर पड़ेगा।
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