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G20 की अध्यक्ष्ता पर भिड़े China-America! 2026 की बैठक की मेजबानी के लिए ड्रैगन ने जताई आपत्ति

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

वर्ष 2026 में होने वाले G20 की बैठक की मेजबानी के लिए अमेरिका को तरजीह देने पर चीन (China-America) ने अपना कड़ा ऐतराज जताया है। बाइडन प्रशासन के इस ऐलान से चीन भड़क गया है। चीन ने कहा है कि वह अमेरिका से जी20 की अध्यक्षता के दोबारा शुरू होने से सहमत नहीं है। जी20 की अध्यक्षता उनके सदस्य देशों के बीच हर साल बदलती रहती है। जिस देश के पास अध्यक्षता होती है, वह जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन करता है। इस चर्चा की जानकारी रखने वाले चार लोगों ने बताया कि चीन ने शनिवार को कहा कि इसकी मेजबानी की घोषणा अभी से ही कर देना कहीं से उचित नहीं है। G20 के सदस्य विश्व नेताओं के वार्षिक शिखर सम्मेलन सहित समूह की अपनी अध्यक्षता बदलते रहते हैं, और अमेरिका ने कहा है कि वह भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में इसके सफल आयोजन के बाद इसका आयोजन कराएगा।

चीन की आपत्ति को रूस का समर्थन

चीन (China-America) की आपत्ति को रूस का समर्थन मिला हुआ है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह आपत्ति ज्यादातक प्रतीकात्मक है, क्योंकि इसकी संभावना नहीं है कि इस निर्णय को पलट दिया जाएगा। अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि भारत में मौजूदा जी20 शिखर सम्मेलन में होने वाली ज्यादातर चर्चाएं निजी हैं। चीन की इस आपत्ति की रिपोर्ट सबसे पहले फाइनेंशियल टाइम्स ने प्रकाशित की थी।

चीन ने आपत्ति का नहीं बताया कारण

चीन ने अपनी आपत्तियों का कारण नहीं बताया है। लेकिन, उसने अपनी नाराजगी का सार्वजनिक इजहार जरूर किया है। 2025 के अंत तक जी20 के सभी सदस्य कम से कम एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर लेंगे और उस बिंदु तक पहुंच जाएंगे, जहां रोटेशन फिर से शुरू होगा। अमेरिका ने 2008 में वॉशिंगटन में पहले जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।

चीन और अमेरिका में गंभीर मतभेद

चीन और अमेरिका (China-America) में कई मुद्दों पर विवाद है और दोनों देश गंभीर तनाव से गुजर रहे हैं। अमेरिका शुरू से चीन के दक्षिण चीन सागर पर दावे को खारिज करता रहा है। अमेरिका हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक आवाजों को कुचलने, ताइवान पर हमले की धमकी देने, शिनजियांग में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने और तिब्बत में अत्याचार को लेकर चीन के खिलाफ आवाज बुलंद करता रहा है। चीन की आक्रामक विस्तारवादी प्रवृति के खिलाफ अमेरिका सबसे ज्यादा मुखर रहा है।

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