अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) है। इसी की तर्ज पर चीन (China) का स्पेस स्टेशन भी तियांगोंग भी है। अब चीन अपने अंतरिक्ष स्टेशन का विस्तार करना चाहता है। इस योजना का चीन ने अनावरण किया है। इसके मुताबिक आने वाले वर्षों में मॉड्यूल को तीन से बढ़ाकर छह किया जाएगा। पृथ्वी के करीब रहकर मिशनों के लिए एक वैकल्पिक मंच प्रदान करने की योजना है। खासकर अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए क्योंकि नासा के नेतृत्व वाला ISS 2030 के आसपास रिटायर होने वाला है।
अजरबैजान के बाकू में आयोजित 74वें अंतरिक्ष यात्री कांग्रेस के दौरान चीन (China) की स्पेस एजेंसी के बड़े ठेकेदार चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी ने कहा कि वे अंतरिक्ष स्टेशन का जीवनकाल 10 से बढ़ाकर 15 साल करने की प्लानिंग कर रहे हैं। चीन के अंतरिक्ष स्टेशन को तियांगोंग के नाम से जाना जाता है, जिसका अनुवाद स्काई पैलेस यानी आसमान का महल है। यह स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में चीन की लेटेस्ट कामयाबी को दिखाता है। इस स्पेस स्टेशन का वजन 96000 किग्रा है।
कैसा है स्पेस स्टेशन
चीन (China) के इस स्पेस स्टेशन की लंबाई 55.6 मीटर और चौड़ाई 39 मीटर है। भविष्य में विस्तार के तौर पर चीन की योजना है कि तीन और मॉडल जोड़े जाएं। चौथा मॉड्यूल भी इसमें जोड़ा जाएगा, जिसे अस्थायी रूप से जिंटियन नाम दिया गया है, जो 2024 में लॉन्च के लिए निर्धारित है। तियांगोंग 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह आईएसएस के समान ट्रैजेक्टरी पर ही है। हालांकि तियांगोंग आईएसएस से काफी छोटा और हल्का है। आईएसएस में 16 मॉड्यूल हैं।
ISS क्या है
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दुनिया भर की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों की ओर से मिलकर बनाया गया स्टेशन है। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री इसमें जाते हैं। यह ट्रेनिंग और रिसर्च फैसिलिटी के तौर पर इस्तेमाल होता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में चीन हिस्सा नहीं है। आईएसएस पिछले दो दशकों से चल रहा है और इसमें अब तक 200 से ज्यादा अंतरिक्ष यात्री जा चुके हैं। नासा का प्लान है कि इसे 2030 में रिटायर कर दिया जाए।
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