अर्थव्यवस्था

बुनियादी ढांचे पर ज़ोर, क्योंकि ज़बरदस्त मांग भारत को दुनिया के विकास इंजन में बदलने को आतुर

India On The Move: बिज़नेस फ़ोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दावा कि भारत बहुत जल्द 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के आंकड़े को छूने के लिए तैयार है और आने वाले वर्षों में भारत दुनिया का विकास इंजन होगा, वैश्विक समुदाय के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

पीएम मोदी ने कहा,“विश्व की अस्थिर अर्थव्यवस्था के बावजूद, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। भारत जल्द ही 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जायेगा। ”

कई सुधारों, बुनियादी ढांचे पर ज़ोर, ज़बरदस्त घरेलू मांग के साथ-साथ तैयार श्रम पूल से प्रेरित होकर भारत की अर्थव्यवस्था लचीली बनी रहने की संभावना है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंकों और एजेंसियों द्वारा किए गए अधिकांश विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि भारत की विकास की कहानी यही रहने वाली है।

अर्थव्यवस्था की स्थिति का विश्लेषण करने वाले भारतीय स्टेट बैंक के इकोरैप ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की विकास दर प्रभावशाली 8.3 प्रतिशत आंकी है।

एसएंडपी ग्लोबल ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की तीव्र आर्थिक वृद्धि के बाद घरेलू मांग के कारण भारत की आर्थिक गति 2023 की पहली छमाही में मज़बूत बनी हुई है। न केवल देश के इस्पात उत्पादन में वृद्धि हुई है,बल्कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 11.9 फ़ीसदी की बढ़ोतरी के साथ धातु की खपत में भी 10.2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई।

इसमें कहा गया है कि देश में निरंतर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) प्रवाह से मदद मिली है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इस प्रवाह ने न केवल भारत की बाहरी ऋण संकट को कम किया है, बल्कि विदेशी मुद्रा कोष में भी इज़ाफा किया है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व बैंक के अनुसार, 2047 तक उच्च मध्यम आय की स्थिति को छूने का लक्ष्य रखने वाले भारत ने अत्यधिक ग़रीबी को कम करने में भी उल्लेखनीय प्रगति की है।

विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा है, “भारत को अपनी अधिकांश जीडीपी घरेलू खपत से प्राप्त होती है। इसलिए भले ही दुनिया कुछ महीनों के लिए धीमी हो जाए, लेकिन भारत के पास इस तथ्य से प्राकृतिक सहारा है कि वह अधिक घरेलू उपभोग उन्मुख है।”

बंगा ने पहले ही कहा था कि वह लंबे समय की तुलना में “आज समग्र रूप से भारत को लेकर अधिक आशावादी हैं”।

कई देश और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में निवेश के साथ-साथ कोविड के बाद के चरण में अपनी चीन प्लस रणनीति का हिस्सा बनने पर विचार कर रही हैं। पीएम गति शक्ति, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव, मेक इन इंडिया जैसी कई योजनाओं ने मदद की है।

इस साल की शुरुआत में भारत का दौरा करने वाले ऐप्पल इंक के शीर्ष बॉस टिम कुक ने कहा कि भारत इस कंपनी के लिए एक फ़ोकस बाज़ार है।

कुक ने कहा, “भारत एक अविश्वसनीय रूप से रोमांचक बाज़ार है। यह हमारे लिए एक प्रमुख फोकस है,” उन्होंने कहा कि देश इसलिए एक निर्णायक मोड़ पर है ,क्योंकि भारत में जीवंतता अविश्वसनीय है।

इसी तरह, जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (JETRO) ने दिसंबर, 2022 में खुलासा किया कि 72 प्रतिशत से अधिक जापानी कंपनियां भारत में अपने परिचालन का विस्तार करने की इच्छुक हैं। चीन के लिए यह संख्या केवल 33.4 प्रतिशत से कम है।

भारत का बढ़ता मध्यम वर्ग एक बड़ी ताक़त है। मध्यम वर्ग में वृद्धि से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ेगी। ब्रुकिंग रिपोर्ट के अनुसार, भारत के उपभोक्ता वर्ग की वृद्धि युवा लोगों में होगी, जबकि चीन मुख्य रूप से 45 वर्ष से अधिक आयु के उपभोक्ताओं को जोड़ेगा। 2030 तक भारत 30 वर्ष से कम उम्र के 357 मिलियन युवा उपभोक्ताओं का घर होगा, जो दुनिया में सबसे बड़ा “युवा उपभोक्ता बाज़ार” होगा।

गोल्डमैन सैक्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रतिभा और कामकाजी उम्र की आबादी के एक बड़े समूह द्वारा संचालित भारत, अमेरिका, जर्मनी और जापान को पछाड़कर 2075 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

 

चुनौतियां

हालांकि, भारत को सतर्क रहने की ज़रूरत है। इसकी मुद्रास्फीति ऊपर की ओर बढ़ी है। इसके अलावा उधार लेने की लागत भी ऊंची बनी हुई है।

विश्व बैंक ने कहा कि विकासोन्मुख सुधारों के साथ-साथ अच्छी नौकरियों में विस्तार की आवश्यकता होगी, जो श्रम बाज़ार में प्रवेश करने वालों की संख्या के साथ तालमेल बनाये रखें।

Mahua Venkatesh

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