दुनिया के किसी भी देश में पहली बार चंद्रमा के अबतक अज्ञात दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सटीक लैंडिंग के बाद, अगला बड़ा क़दम था प्रज्ञान रोवर को उतारना, जो अब 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह को खंगालते हुए जो वैज्ञानिक डेटा जुटायेगा,वह अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को भेजा जायेगा।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/Chandrayaan3?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#Chandrayaan3</a>: <a href=”https://twitter.com/hashtag/Pragyan?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#Pragyan</a> rover has started rolling out 🇮🇳 <a href=”https://t.co/9rSNzvWT7Y”>pic.twitter.com/9rSNzvWT7Y</a></p>— Indian Aerospace Defence News – IADN (@NewsIADN) <a href=”https://twitter.com/NewsIADN/status/1694383664535380423?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 23, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
इस रोवर के प्रक्षेपण के लिए तब तक इंतज़ार करना पड़ा, जब तक कि विक्रम लैंडर के नीचे उतरने से चंद्रमा पर उड़ी धूल फिर से शांत नहीं हो गयी। यह सावधानी इसलिए बरतनी पड़ी, क्योंकि धूल के कण रोवर पर लगे कैमरों और अन्य संवेदनशील उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकते थे।
6 पहियों वाला यह रोवर ‘प्रज्ञान’ रासायनिक परीक्षणों का उपयोग करके चंद्रमा का पता लगायेगा। रोवर कई कैमरों से लैस है, जो तस्वीरें पृथ्वी पर भेजेगा। इसकी बैटरी को चार्ज करने के लिए सौर पैनल का उपयोग किया जाता है। प्रयोग 14 दिनों तक जारी रहेंगे, जो कि एक चंद्रमा दिवस के बराबर है। जैसे ही चंद्रमा पर रात शुरू होगी, रोवर के सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण बंद होने की संभावना होती है।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>India is in the age of pioneering in complicated scientific and technological expeditions. Perhaps one day we will walk on the moon: Srijan Pal Singh, Former technology advisor to ex-President Dr. Kalam <a href=”https://twitter.com/isro?ref_src=twsrc%5Etfw”>@isro</a><a href=”https://twitter.com/hashtag/IndiaOnTheMoon?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#IndiaOnTheMoon</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/MoonMission?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#MoonMission</a> <a href=”https://twitter.com/BhatSakal?ref_src=twsrc%5Etfw”>@BhatSakal</a> <a href=”https://twitter.com/anil317?ref_src=twsrc%5Etfw”>@anil317</a> <a href=”https://t.co/Bf2JJaAHMq”>pic.twitter.com/Bf2JJaAHMq</a></p>— DD India (@DDIndialive) <a href=”https://twitter.com/DDIndialive/status/1694390734865228279?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 23, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
रोवर के प्रयोगों में चंद्रमा की सतह की संरचना और मिट्टी का विश्लेषण शामिल होगा-चंद्र ध्रुवीय क्षेत्र में बरकरार गर्मी का दस्तावेजीकरण; भूकंपीय गतिविधि की जांच; और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट से पृथ्वी की दूरी की गणना करना।
लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह के तापमान और भूमिगत विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए अपने चार वैज्ञानिक पेलोड तैनात करेगा।
इसरो के अनुसार, चंद्रयान -3 के घोषित उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर रोवर का घूमना और उपयुक्त वैज्ञानिक प्रयोग हैं, जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव में पानी और मिट्टी की विशेषताओं की उपस्थिति का पता लगाने का प्रयास करेंगे। चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाने वाली ‘मदरशिप’ चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करने के लिए प्रयोग करेगी।
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश बना दिया है।
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