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वैश्विक चुनौतियों के बीच ताल ठोंकता भारत,विकास की रफ़्तार बरक़रार

क्या बरक़रार रहेगी भारत की ग्रोथ स्टोरी ?

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) को उम्मीद है कि भारत की विकास दर 6.5 प्रतिशत के क़रीब बनी रहेगी, भले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस महीने की शुरुआत में देश के विकास दर के अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया था। इंडिया नैरेटिव से बात करते हुए ईएसी-पीएम सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि उभरती बाहरी चुनौतियों के बावजूद भारत की विकास गति बरक़रार है।

IMF का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से काफ़ी कम है।
“वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत मंदी है। इसलिए, बहुपक्षीय एजेंसियों ने वैश्विक विकास अनुमानों को कम कर दिया है। सान्याल ने कहा, भारत की विकास दर काफ़ी मज़बूत बनी हुई है।

उन्होंने कहा, “मुझे अब भी लगता है कि विकास दर लगभग 6.5 प्रतिशत रहेगी।” उन्होंने कहा कि बढ़ते जोखिमों के बीच यह एक विश्वसनीय उपलब्धि होगी।

सान्याल ने कहा कि हालांकि इस साल अल नीनो की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है, भारत अपने पर्याप्त खाद्य भंडार के साथ अल नीनो के पैदा होने की स्थिति में इसके प्रभाव को कम करने के लिए बेहतर तरीक़े से तैयार है। उन्होंने कहा, “हालांकि, देखते हैं कि यह कैसे काम करता है, आईएमडी (भारत मौसम विज्ञान विभाग) ने भी इस साल सामान्य बारिश होने की भविष्यवाणी की है।”

हाल ही में आरबीआई के एक पेपर में कहा गया है कि भारत के दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने की उम्मीद है, जिसकी वैश्विक विकास की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है।दुनिया में सबसे ज़्यादा दूसरा बड़ा योगदान है, और अमेरिका और यूरोपीय संघ के कुल योग से भी यह योगदान अधिक है।

केंद्रीय बैंक ने कहा, “यद्यपि यह बताना जल्दबाज़ी होगी, हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि बहुपक्षीय संस्थान – विशेष रूप से आईएमएफ़ का पूर्वानुमान ग़लत साबित हो सकता है, वास्तविक परिणामों ने उन्हें सकारात्मक रूप से हैरान कर दिया है।”

पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में आईएमएफ़ के एशिया और प्रशांत विभाग की उप निदेशक ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ़ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है और सबसे तेज़ी से बढ़ती एशियाई अर्थव्यवस्था बनी हुई है, और दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

इस बीच नीति निर्धारक राहत की सांस इसलिए लेंगे, क्योंकि मार्च के लिए भारत की खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई की 6 प्रतिशत की सीमा से नीचे गिरकर 5.66 प्रतिशत हो गयी है, जो कि दिसंबर 2021 के बाद सबसे कम है।

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति को 5.2 प्रतिशत पर आंका है। पहली तिमाही में मुद्रास्फीति की दर 5.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में यह 5.3 फ़ीसदी रहने का अनुमान है, जबकि चालू वित्त वर्ष की जनवरी से मार्च की अवधि में इसके घटकर 5 फ़ीसदी रहने का अनुमान है।

 

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