चूंकि पिछले साल यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से 90 प्रतिशत से अधिक रूसी तेल एशिया में निर्यात हो रहा है, मॉस्को से भारत का समुद्री कच्चे तेल का आयात अब चीन से भी अधिक है। चीन अब दूसरे स्थान पर चला गया है।
2023 में रूस अपने “दोस्ताना बाज़ारों” में तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति को प्राथमिकता देगा ,जिसमें भारत और चीन शामिल हैं। मॉस्को ने कहा है कि वह इस साल भारत को अपनी तेल आपूर्ति बढ़ायेगा।
उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने एक साक्षात्कार में कहा है कि 2022 में रूस ने भारत को 32 मिलियन टन तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति की थी,
रूसी समाचार एजेंसी TASS ने नोवाक के हवाले से कहा है, “चीन, भारत उन देशों में सबसे पहले हैं, जहां तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की अतिरिक्त मात्रा निर्यात की जायेगी। पहले हम भारत को लगभग उन उत्पादों की आपूर्ति नहीं करते थे, जबकि पिछले साल कुल 32 मिलियन टन का निर्यात हुआ था, और इस साल यह और भी अधिक होगा। वे हमारे अनुकूल बाज़ार हैं।”
एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, रूसी तेल अब भारतीय कच्चे तेल के आयात का लगभग 40 प्रतिशत है, जो अनुमानित अधिकतम 40-45 प्रतिशत के क़रीब है, जिसे रिफ़ाइनर तकनीकी रूप से कच्चे तेल की गुणवत्ता को देखते हुए संसाधित कर सकते हैं।
कई देशों ने रियायती रूसी तेल का लाभ उठाया है। हाल ही में पाकिस्तान ने भी रूसी तेल का आयात करना शुरू कर दिया था।
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