केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी तय करते समय, भत्तों के अलावा जैसे महंगाई भत्ता, यात्रा भत्ता, हाउस रेंट अलाउंट आदि चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी तय करने में फिटमेंट फैक्टर का अहम रोल है। कर्मचारी की बेसिक सैलरी को 7वें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर 2.57 से गुणा करके निकाला जाता है। उदाहरण के तौर पर- अगर किसी केंद्रीय कर्मचारी की बेसिक सैलरी 18,000 रुपए है, तो भत्तों को छोड़कर उसकी सैलरी होगी 18,000X 2।57= 46,260 रुपए। अगर इसी को 3 मान लिया जाए तो सैलरी होगी 21,000X3= 63,000 रुपए। कर्मचारियों को इसमें बंपर फायदा मिलेगा।
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बिना भत्तों के जब केंद्रीय कर्मचारी की सैलरी तय हो जाती है, तो इसके बाद तमाम तरह के भत्तों को जोड़ा जाता है। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए डीए महंगाई से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए दिया जाता है। इसे साल में दो बार तय किया जाता है। पहली बार जनवरी से जून के दौरान और दूसरी बार जुलाई से दिसंबर की अवधि के लिए तय होता है। सरकार साल के पहले 6 महीने की महंगाई का औसत निकालती है, इसमें जनवरी से जून को काउंट किया जाता है। इसके बाद दूसरी छमाही में महंगाई का औसत निकाला जाता है। इस आधार पर डीए में बढ़ोतरी तय की जाती है।
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फिलहाल, जुलाई AICPI इंडेक्स 125.4 प्वाइंट पर है। इसलिए ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि जनवरी 2022 की अवधि के लिए महंगाई भत्ता कम से कम 3 फीसदी बढ़ना तय है। डीए में बढ़ोतरी के बाद टीए उसी आधार पर बढ़ाया जाता है। डीए में बढ़ोतरी टीए से भी लिंक्ड है। इसी तरह एचआरए और मेडिकल रीम्बर्समेंट भी तय हो जाता है। जब सारे भत्ते कैलकुलेट हो जाते हैं तब केंद्रीय कर्मचारी की मासिक सीटीसी तय होती है। सभी तरह के भत्ते और सैलरी फाइनल होने के बाद अब बात आती है मासिक और ग्रेच्युटी योगदान की। पीएफ और ग्रेच्युटी योगदान बेसिक सैलरी और डीए से लिंक होता है। केंद्रीय कर्मचारी का पीएफ और ग्रेच्युटी उसके फॉर्मूले से तय होता है। जब सारे भत्ते और कटौतियां सीटीसी से हो जाती हैं तब केंद्रीय कर्मचारी की टेक होम सैलरी तय होती है।