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बच्चों के लिए कितना खतरनाक है Corona का यह जानलेवा वेरिएंट- देखिए क्या कहती है नई रिपोर्ट

बच्चों के लिए कितना खतरनाक है Corona का यह जानलेवा वेरिएंट

कोरोना महामारी के खिलाफ इस वक्त दुनिया भर में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच दूसरी लहर के दौरान कोरोना के सबसे खतरनाक 'डेल्टा वेरिएंट' का खुलासा हुआ। वैज्ञानिकों ने कहा कि, दूसरी लहर में संक्रमण को तेजी से फैलने में सबसे ज्यादा यही वेरिएंट जिम्मेदार रहा। दूसरी ही लहर के दौरान वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया था कि देश में तीसरी लहर भी आएगी। जैसे की पहली लहर में इस घातक वायरस ने बुजुर्गों को ज्यादा संक्रमित किया तो वहीं, दूसरी लहर में ज्यादातर युवा इसकी चपेट में आए। तीसरी लहर में बच्चों को लेकर संक्रमण की बाते सामने आई लेकिन इसे वैज्ञानिकों ने नकार दिया। अब सवाल यह है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट बच्चों को लिए कितना घातक है। या फिर इससे बच्चे सुरक्षित हैं..

कोविड-19के डेल्टा वेरिएंट सबसे घातक वेरिएंट है, दुनियाभर में तेजी से संक्रमण फैलाने में यही वेरिएंट वजह रहा। बच्चों पर यह कितना बुरा है इसके लिए विशेषज्ञों का कहना है कि, इस बात की अबतक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि डेल्ट वेरिएंट वायरस के पहले के वर्जन की तुलना में बच्चों और किशोरों को बीमार करता है।

इस बीच यह भी सामने आया है कि डेल्टा वेरिएंट के चलते बच्चों में संक्रमण बढ़ा है, फ्लोरिडा के सेंट पीटर्सबर्ग में स्थित जॉन्स हॉपकिन्स ऑल चिल्ड्रेन अस्पताल के बाल रोग संक्रामक डॉक्टर डॉ जुआन डुमोइस ने कहा, डेल्टा की अधिक आसानी से फैलने की क्षमता इसे बच्चों के लिए अधिक खतरनाक बनाती है। इस वजह से स्कूलों में मास्क लगाना और उन लोगों का वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है, जो बूढ़े हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी बच्चों में साप्ताहिक संक्रमण दर 250,000से ऊपर रही, जो सर्दियों के पीक से अधिक रही।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कम से कम 180 देशों में डेल्टा वेरिएंट की पहचान की गई है, उनमें से कई में संक्रमण में वृद्धि का मतलब छोटे बच्चों और किशोरों में अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में भी वृद्धि है। बच्चों में डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि, अधिकांश संक्रमित बच्चों में हल्के लक्षण होते हैं और या कोई लक्षण नहीं होता है। ऐसे में उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। इसके साथ ही वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा देने में प्रभावी है। 12 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों में जुलाई में साप्ताहिक अस्पताल में भर्ती होने की दर उन लोगों की तुलना में 10 गुना अधिक थी, जिन्होंने वैक्सीन की कम से कम एक डोज ली थी।