Heart Attack :नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज रिस्क फैक्टर कॉलैबेरेशन ने भारत में महिलाओं में दिल की बीमारी के बढ़ते ट्रेंड और उससे होने वाली मृत्यु दर पर एक स्टडी की है।स्टडी के मुताबिक भारत में साल 2017 में दिल की बीमारियों से करीब 41 लाख लोगों ने जान गंवाई। इनमें 18 लाख महिलाएं और 23 लाख पुरुष थे। भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल की बीमारी ने ज्यादा रफ्तार पकड़ी है। महिलाओं में यह तेजी ओवरवेट, डायबिटीज, स्मोकिंग और ओरल इंफेक्शन के कारण आई है ।
अमेरिका में 6 करोड़ से अधिक महिलाएं किसी न किसी दिल की बीमारी के साथ जी रही हैं। दिल की बीमारी अमेरिका में महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण है और इसकी कोई उम्रसीमा भी नहीं है।अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी के मुताबिक, साल 2020 में हार्ट डिजीज की वजह से 3 लाख से ज्यादा महिलाओं ने जान गंवाई। रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि केवल 56% अमेरिकी महिलाएं ही समझ पाती हैं कि हार्ट डिजीज उनके लिए खतरनाक है।
महिलाओं में देर से पता चलती है दिल की बीमारी
कई महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण हार्ट अटैक जैसी सीरियस मेडिकल इमरजेंसी होने तक नहीं दिखते। महिलाओं में दिल की बीमारी के लक्षण पुरुषों से अलग होने की वजह से उनका किसी पर ध्यान नहीं जाता। महिलाओं में लक्षण भी धीरे-धीरे सामने आते हैं।महिला को किस तरह की हार्ट डिजीज है, इस आधार पर लक्षण अलग हो सकते हैं। शुरूआती लक्षणों के बाद में महिलाओं में दिल की बीमारी होने पर पैर में सूजन, वजन बढ़ना, नींद न आना, एंग्जायटी, बेहोशी, खांसना और आवाज में खरखराहट होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
हॉर्मोन हमारी बॉडी का केमिकल मैसेंजर है और शरीर में होने वाली हर गतिविधि का हिस्सा भी है। हॉर्मोंस शरीर में होने वाली हर एक्टिविटी को प्रभावित करते हैं, जिसमें दिल भी शामिल है। पुरुष और महिला दोनों की ही बॉडी में अलग प्रकार के एस्ट्रोजन हॉर्मोन निकलते हैं। एस्ट्रोजन की वजह से ही महिलाएं मेनोपॉज के पहले तक हार्ट डिजीज से सुरक्षित होती हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के पहले एस्ट्रोजन की मात्रा ज्यादा होती है और प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होता है।एस्ट्रोजन हार्ट के लिए अच्छा हॉर्मोन माना जाता है। मेनोपॉज के बाद दोनों के लेवल में अंतर आ जाता है। एस्ट्रोजन कम और प्रोजेस्टेरोन बढ़ जाता है। इस वजह से महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ हार्ट डिजीज की आशंका भी बढ़ जाती है।
शराब या सिगरेट कभी किसी समस्या का हल नही हो सकते। इनका दिल की सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। इनसे दूरी बनाए रखें या सेवन कम से कम करें।
रोजाना कम से कम 15 मिनिट का व्यायाम और खुली ताजा हवा में डीप ब्रीदिंग चमत्कार की तरह काम करेंगी। इससे रक्त संचार तो सुचारू होगा ही, दिमाग को सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी और वह सही तरीके से काम कर पाएगा।
तनाव, स्ट्रेस जैसी स्थितियों से जितना हो सके दूर रहने का प्रयास करें। ये आपके दिल को बड़ी मुश्किल में डाल सकती हैं। मेडिटेशन, म्यूजिक आदि इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
वजन, शुगर, बीपी और कोलेस्ट्रॉल पर कड़ा नियंत्रण रखना। ये एक ऐसी बात है जो जानते ज्यादातर लोग हैं लेकिन इसे अमल में लाना भूल जाते हैं। जैसे रोज भोजन करना, नहाना आदि आपको याद रहता है वैसे ही उपरोक्त नियंत्रण को जीवन का हिस्सा बनाएं।
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