गन्ने की फ़सल के मौसम के दौरान महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के तेजेवाड़ी गांव के किसानों को आमतौर पर तेंदुए और उनके शावक मिलते रहते हैं। इस हफ़्ते की शुरुआत में ऐसा भी ऐसा ही हुआ, जब उन्होंने बिना मां के एक अकेला शावक को देखा।
ऐसी घटनाओं से अभ्यस्त होने के कारण उन्होंने तुरंत महाराष्ट्र वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। कर्मचारी हरक़त में आए और शावक को बचा लिया गया और उसे जुन्नार के माणिकदोह तेंदुआ बचाव केंद्र में ले आया गया, जिसे विभाग और एक ग़ैर-सरकारी संगठन वाइल्डलाइफ़ एसओएस द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है।
तेंदुए के शावक को उसकी मां से फिर से मिलाने के बाद मां उसे सुरक्षित अपने साथ ली गयी।
वन विभाग के अधिकारियों के साथ वन्यजीव टीम ने रात में शावक को उसकी मां के साथ फिर से मिलाने का फ़ैसला किया। वे उसी स्थान पर लौट आए, जहां से शावक को बचाया गया था और उसे एक सुरक्षित डिब्बे में रख दिया। साइट पर लगे कैमरा ट्रैप में मां को आते और अपने शावक को सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए दिखाया गया है।
इस घटना पर टिप्पणी करते हुए वाइल्डलाइफ़ एसओएस के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. चंदन सावने ने कहा: “चूंकि तेंदुए मुख्य रूप से निशाचर जानवर हैं, वे रात में सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। इसीलिए, इस दौरान दोनों को मिलाने की योजना बनायी गयी । हमने किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या का पता लगाने के लिए एक चिकित्सा परीक्षा आयोजित की और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हमने रिहाई से पहले एक माइक्रोचिप को सावधानी से शावक के साथ प्रत्यारोपित कर दिया। इस विधि से जंगल में तेंदुओं की पहचान करना आसान हो जाता है, और हमें उनकी सीमा और क्षेत्र का अध्ययन करने की अनुमति मिल जाती है।”
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