चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर इस वक्त मतभेद चल रहा है। ड्रैगन के साथ जो भी देश अपनी सीमा साझा करते हैं वो सब परेशान हैं। भारत में भी चीन ने अपनी बुरी नजर लगाने की कोशिश की लेकिन यहां उसका सामना भारत के उन विर सपूतों से हुआ जिन्होंने इस मिट्टी के लिए कई जंगे लड़ी हैं। चीन को अंदाजा नहीं था कि भारतीय जवान उसे ऐसी धूल चाटाएंगे कि वो इसे कभी भूल नहीं पाएगा। गलवान घाटी में जब चीन ने भारतीय सीमा के अंदर घुसपैठ करने की कोशिश की तो यहां भारतीय जवानों ने रोक दिया। जिसके बाद दोनों ओर की सेना भीड़ गई और इस खूनी संघर्ष में नुकासन तो भारत को भी हुआ लेकिन, चीन को भारी नुकसान हुआ। उसके 40 सैनिक मारे गए और ये बात चीन को पची नहीं जिसे वो छुपाए बैठा था लेकिन, बाद में यह उजागर हुआ तो ड्रैगन की पोल खुल गई। अब सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा है कि, चीन सीमा विवाद को जिंदा रखना चाहता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, अप्रैल 2020 में भारत सरकार ने जो एक्शन लिया वो लक्ष्मणरेखा था।
भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि, साथ मूल मुद्दा सीमा को लेकर है। लेकिन चीन की मंशा इस विवाद को बनाए रखने की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारतीय जवान सीमा पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैनात हैं। जनरल पांडे ने कहा, भारतीय सेना का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करना है। सीमा पर तैनात सैनिकों को अपनी ड्यूटी पर दृढ़ रहने के लिए कहा गया है। इतना ही नहीं भारतीय थल सेना प्रमुख ने कहा, भारतीय जवान महत्वपूर्ण पोजीशन पर तैनात हैं और उन्हें सख्त निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें यथास्थिति में किसी भी बदलाव की कोशिश को विफल करना है।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, जनरल मनोज पांडे ने कहा, चीन के साथ मूल मुद्दा बॉर्डर समस्या के समाधान का है। लेकिन हमें लगता है कि चीन की मंशा इस विवाद को उलझाए रखने की है। हमें एक देश के रूप में समग्र राष्ट्र के द्दष्टिकोण की जरूरत है और सैन्य डोमेन में यह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथा स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव की कोशिश को रोकना और उसका मुकाबला करना है।