भारतीय किसान यूनियन के भारत बंद पर भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट ने राकेश टिकैत और भारत बंद कर रहे किसान नेताओं पर जमकर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि, इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही राकेश टिकेत द्वारा उठाए जा रहे इस कदम को उन्होंने अतंकवादी गतिविधियां बताया है।
भानु गुट ने कहा है कि, क्या भारत बंद करके यह (राकेश टिकैत) अपनी आतंकवादी गतिविधियों को और बढ़ाना चाहते हैं। आतंकी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा किया, लगता है कि राकेश टिकैत भी भारत में उस तरह की गतिविधियों को बढ़ाना चाहते हैं। इनकी सोच तो ठीक नहीं लगती है। उन्होंने राकेश टिकैत के भारत बंद को तालिबानी कदम बताया है। उन्होंने काह कि, राकेश टिकेत खुद को किसान नेता कहते हैं और फिर भारत बंद की घोषणा करते हैं, जो अर्थव्यवस्था और किसानों को प्रभावित करता है। इससे किसी का भला भी कैसे होता है। वह इसी तरह की गतिविधियों को जारी रखते हुए तालिबान के नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं। मैं भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक, जिला, मंडल और प्रदेश के सभी पदाधिकारियों का आह्वान करता हूं कि भारत बंद का कोई सहयोग ना करे और इसका विरोध करें। ऐसे संगठन जो आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं उनको सरकार दबाने की कोशिश करे।
#WATCH | "…They (Rakesh Tikait) call themselves 'kisan neta & then announce Bharat Bandh, which affects economy & farmers. How does it even benefit anyone? They want to follow in footsteps of Taliban by continuing similar activities…": Bhanu Pratap Singh, BKU-BHANU President pic.twitter.com/WQri1UMAH4
— ANI (@ANI) September 27, 2021
भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत पर लगातार हमला बोलते रहते हैं। वो टिकैत को ठग भी कह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि, बिना ठगे कोई काम नहीं करते हैं, इसके साथ ही किसान आंदोलन पर उन्होंने कांग्रेस सरकार की फंडिंग का भी आरोप लगाया है।
इससे पहले वो यह कह चुके हैं कि, सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे संगठन कांग्रेस के खरीदे हुए और कांग्रेस के भेजे हुए थे। कांग्रेस इनको फंडिंग कर रही थी। इस बात का पता हमें 26 जनवरी को ही चल गया था। जब हमें मालूम पड़ा कि इन्होंने 26 जनवरी को पुलिस पर हमला किया और लाल किले पर दूसरा झंडा फहराया है। उसी दिन हमने अपना समर्थन वापस ले लिया और यह संकल्प लिया कि हम इनके साथ नहीं रहेंगे और हम आंदोलन खत्म कर वापस चले आए।