महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक की जमानत याचिका को बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। नवाब मलिकर ने याचिका दायर कर अदालत से अंतरिम राहत की मांग की थी। मलिक ने अपनी याचिका में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया था। मलिन ने इस मामले में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द करने का अनुरोध किया था।
नवाब मलिक को प्रवर्तन निदेशालय ने दाऊद इब्राहिम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। वो इस वक्त अर्थर रोड जेल में बंद हैं। उन्हें 3 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेजा गया था। मलिक पर हसीना पारकर की एक जमीन को खरीदने का आरोप है। आरोप यह भी है कि उन्होंने 300 करोड़ की जमीन को महज 55 लाख रुपये में खरीदा। इस पूरे ट्रांजैक्शन में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप मलिक पर लगा है। साथ ही अंडरवर्ल्ड और 1993 बम धमाकों के आरोपियों से संबंध रखे और प्रॉपर्टी खरीदने का भी आरोप है। ईडी ने मलिक पर टेरर फंडिंग का आरोप लगाया है।
उनकी याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें सुनवाई जरूरी है और अभी राहत नहीं दी जा सकती है। जस्टिस प्रसन्ना वराले और जस्टिस श्रीराम मोदक की बेंच ने कहा, इस ममाले में कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनपर सुनवाई बहुत जरूरी है। हम इस अंतरिम आवेदन पर स्वीकृति नहीं दे सकते हैं इसलिए इसे खारिज किया जा रहा है।
याचिका मे मलिक ने दावा किया था कि 23 फरवरी को उनकी गिरफ्तारी और पीएमएलए कोर्ट की तरफ से दी गई रिमांड गैरकानूनी है। पीएमएलए के तहत कार्रवाई से पहले ही यह आदेश दिया गया था। सीनियर वकील अमित देसाई ने कहा कि पीएमएलए कोर्ट ने ईडी को कस्टडी देकर गलत किया है जब कि उनके रेट्रोस्पेक्टिव ऐप्लिकेशन पर ध्यान नहीं दिया गया।