साल 2020 में जब से गलवान घाटी में China आर्मी और भारतीय सेना के बीच झड़पें हुई,उसके बाद भारत सरकार की ओर से चीन की सीमा तक आसानी से सैनिकों की पहुंच बनाने के लिए ना सिर्फ सड़क मार्ग को दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है,बल्कि हवाई मार्ग से उस दुर्गम रास्ते को सुगम बनाने के लिए सरकार की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है। इसके लिए भारतीय वायुसेना के बेड़े में C-295 विमान शामिल हो गया है।
भारतीय वायु सेना की ताकत अब और बढ़ने वाली है। विमान निर्माता कंपनी एयरबस ने भारत के लिए सी-295 टैक्टिकल मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान (C-295 transport aircraft) तैयार किया। आइए समझते हैं कि आखिर क्यों भारत को सी-295 टैक्टिकल मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान की जरूरत पड़ी है। वहीं इस विमान की क्या ताकत है जिससे दुश्मनों के भीतर खौफ बढ़ने वाला है।
भारत के दुश्मनों को खासकर China को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए भारतीय वायु सेना की ताकत और बढ़ चुकी है। एयरबस डिफेंस एंड स्पेस कंपनी ने बुधवार को पहला सी295 परिवहन विमान भारतीय वायु सेना को सौंपा।
एयरबस का टाटा ग्रुप के साथ करार
भारत सरकार ने एयरबस के साथ 56 एयरक्राफ्ट के लिए सौदा किया है। इस सौदे में शामिल 40 विमानों को भारत में तैयार किया जाएगा। विमान को तैयार करने के लिए एयरबस ने टाटा ग्रुप के साथ करार किया है। अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के 48 महीनों के भीतर स्पेन से सोलह विमान फ्लाईअवे स्थिति में भारत को सौंपे जाएंगे। गौरतलब है कि यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा।
पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वडोदरा में सी 295 विमानों की विनिर्माण सुविधा की आधारशिला रखी थी। भारतीय वायु सेना एवरो-748 विमानों के अपने बेड़े को बदलने के लिए सी-295 विमान खरीद रही है।
C-295 विमान की विशेषता
सी-295 परिवहन विमान की क्षमता 5 से 10 टन ले जाने की है। जो सैनिकों और साजो-सामान को तेजी से अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचाने के लिए रियर रैंप डोर से विमान लैस है। C-295 विमान 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 11 घंटे तक उड़ सकता है। साथ ही यह विमान पैराशूट के सहारे सैनिकों को उतारने और सामान गिराने के लिए काफी उपयोगी हो सकता है। इस विमान का उपयोग किसी हादसे के शिकार औऱ बीमार लोगों को निकालने के लिए भी किया जा सकता है। यह विमान विशेष अभियानों के साथ-साथ आपदा की स्थिति और समुद्री तटीय क्षेत्रों में गश्ती कार्यों को पूरा करने में भी सक्षम है।
C-295 विमान भारत के लिए क्यों जरूरी है?
सी-295 को एक बेहतर विमान माना जाता है जिसका उपयोग 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर्स तक के सामरिक परिवहन के लिए और उन स्थानों पर रसद संचालन के लिए किया जाता है जो वर्तमान भारी विमानों के लिए पहुंच योग्य नहीं हैं। और इस विमान का उपयोग उस दुर्गम स्थान तक सैनिकों को पहुंचाने में कामयाब होगा जहां तक सड़क मार्ग से जाना काफी दुष्कर साबित हो रहा है। लिहाजा China का सीमावर्ती इलाका जहां काफी दुर्गम स्थान है,और सैनिकों को जाने में ज्यादा वक्त लग सकता है,वहां सैनिकों को न सिर्फ आसानी से बल्कि कम समय में पहुंचाया जा सकता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी न्योमा एयरफील्ड की आधारशिला
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लद्दाख समेत 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। सरकार ने चीन की सीमा के नजदीक न्योमा एयरफील्ड की आधारशिला रखी है। वहीं, पाकिस्तान की सीमा से सटे देवक ब्रिज का भी उद्घाटन किया गया है।
पूर्वी लद्दाख स्थित न्योमा एयरफील्ड
China के विस्तारवादी नीति का जवाब देने के लिए मोदी सरकार ने 12 सितंबर को पूर्वी लद्दाख के न्योमा में न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड की आधारशिला रखी गई है। इस एयरबेस से लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। नए एयरफील्ड के निर्माण में तकरीबन 218 करोड़ रुपये की लागत में बनने की संभावना है।
जम्मू कश्मीर के सांबा जिले का देवक ब्रिज
जम्मू कश्मीर के सांबा जिले में देवक ब्रिज का भी बुधवार को उद्घाटन किया गया। यह ब्रिज को 3150 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह ब्रिज भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इससे सीमा पर किसी भी समय स्थिति खराब होने पर सेना एवं अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) को सीमा पर पहुंचने में काफी मदद मिलेगी।
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