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सावधान दिल्ली: ख़तरे के निशान से ऊपर यमुना

दिल्ली में यमुना नदी ख़तरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गयी है और मंगलवार सुबह जल स्तर बढ़कर 206.24 मीटर हो गया (फ़ोटो: सौजन्य: एएनआई)

पड़ोसी राज्य हरियाणा द्वारा हथिनीकुंड बैराज से नदी में अधिक पानी छोड़े जाने के कारण आज सुबह यमुना ख़तरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गयी और जल स्तर बढ़कर 206.24 मीटर हो गया।

अधिकारियों ने कहा कि नदी आशंका से कहीं पहले ख़तरे के निशान को पार कर गयी है और निचले इलाकों से लोगों को निकालना शुरू हो गया है। उन्हें शहर के विभिन्न हिस्सों में राहत शिविरों और सामुदायिक केंद्रों में स्थानांतरित किया जायेगा।

अधिकारियों ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों और यमुना के जल स्तर की निगरानी करने और शहर में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए 16 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जिससे सामान्य जीवन बाधित हो गया है।

दिल्ली में 41 वर्षों में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गयी है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आखिरी बार इतनी बारिश 1982 में हुई थी, जब 24 घंटे की अवधि में 169 मिमी बारिश हुई थी।

मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की है।

चूंकि भारी बारिश से लगभग पूरा उत्तर भारत प्रभावित है, इसलिए सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ने प्रभावित राज्यों में राहत और बचाव अभियान तेज कर दिया है।

पिछले तीन दिनों में पूरे उत्तर भारत में भारी बारिश से 30 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है।

क्षेत्र की कई नदियां उफान पर हैं। शहरों और कस्बों में कई सड़कें और इमारतें घुटनों तक पानी में डूबी रहती हैं।

हिमाचल प्रदेश मानसून के कहर से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, लगातार बारिश के कारण अचानक आयी बाढ़ से सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति और मकानों को नुकसान पहुंचा है।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए हैं।

पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी भूस्खलन और अचानक बाढ़ की खबरें आयीं, नदियां खतरे के निशान को पार कर गयी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की है और उन्हें केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।

आईएमडी ने कहा कि अरब सागर से आने वाले पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं के बीच परस्पर क्रिया से दोहरी मार पड़ी है, जिसके परिणामस्वरूप अभूतपूर्व तीव्रता की मूसलाधार बारिश हुई है।