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अगर यही हाल रहा तो दिल्ली में पारा हो जाएगा 48 के पार, लखनऊ, पटना और जयपुर भी तपेंगे- देखें नई रिपोर्ट

दिल्ली में पारा 48 के पार

राजधानी दिल्ली के साथ ही पूरे उत्तर भारत में इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है। कुछ दिनों पहले हुई बारिश के चलते थोड़ राहत जरूरी मिली थी। लेकिन, इसका असर ज्यादा दिन नहीं रह सका और लोग एक बार फिर से भीषण गर्मी से बेहल हैं। इस वक्त आलम यह है कि, 9-10 बजते ही सिर पर इतनी कड़ी धूप लगती है कि घर से बाहर निकला मुश्किल हो जाता है। वहीं, ग्रीनपीस इंडिया इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) एआर6 रिपोर्ट के आधार पर लू के अनुमानों का विश्लेषण किया है। 2080-2099 की अवधि में दिल्ली का अधिकतम तापमान औसत 4 डिग्री अधिक हो सकता है। इसी अवधि में दिल्ली का औसत तापमान मौजूदा स्थिति की तुलना में पांच डिग्री अधिक गर्म हो सकता है और अधिकतम तापमान 48.19 डिग्री तक पहुंच सकता है।

रिपोर्ट की माने तो, राजधानी में 29 अप्रैल 2022 को तापमान 43 डिग्री दर्ज किया गया था। यह अप्रैल के महीने में औसत अधिकतम तापमान से काफी उपर है। 1970-2020 तक अप्रैल के तापमान बताते हैं कि चार सालों के दौरान अधिकतम तापमान 43 डिग्री के ऊपर पहुंच गया। इस तरह की तेज गर्मी का मतलब भारत लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी और गर्म हवाओं से जूझता रहेगा। इसकी वजह से अस्पतालों में लोगों के भर्ती होने की संख्या में इजाफा होगा। खेती, जंगली जानवरों को भी इससे नुकसान होंगे।

ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेन मैनेजर अविनाश चंचल ने कहा है कि, लू सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। अगर हम अभी इससे निपटने की तैयारी नहीं किए तो इस गर्मी के अवधि, उसके परिणाम, तापमान के सालाना बढ़ोतरी में ही वृद्धि की वजह से सबसे अधिक नुकसान दिल्ली, लखनऊ, पटना, जयपुर और कोलकाता जैसे शहरों में गंभीर रूप से प्रभावित होने की उम्मीद है। इन सभी शहरों में गर्मी और उसके प्रभाव का पैटर्न एक समान है।

इसी आकलन के अनुसार, 2080 से 2099 की अवधि में मुंबई और पुणे में अब औसत से 5 डिग्री अधिक गर्म होगा, अधिकतम तापमान 4.2 डिग्री सेल्सियस और चेन्नई में 4 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 3.7 डिग्री सेल्सियस के साथ औसत से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म होगा। चंचल के मुताबिक दीर्घकालिक उपायों के रूप में शहरी नियोजन को पर्याप्त हरित आवरण प्रदान करना चाहिए, साथ ही इसे बनाए रखने के लिए भी प्रयास करने चाहिए। इनमें छत पर बागवानी, सामुदायिक पोषण उद्यान, पार्क, मिनी वन, सड़क के किनारे के पेड़ के कवर और जल निकाय को बनाना और सुरक्षित रखना शामिल हैं।