कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के शुरुआती रुझान में लगता है कि कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, क्योंकि पार्टी 135 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि भाजपा 65 सीटों पर आगे है और जद (एस) 20 सीटों पर आगे चल रही है।
10 मई को मतदान समाप्त होने के बाद आए एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गयी थी, जिसमें कुछ ने कांग्रेस को बहुमत के साथ सत्ता में लौटते हुए दिखाया था। अधिकांश एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की थी कि भाजपा 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में 113 के बहुमत से पीछे रह जायेगी।
ऐसे में जद(एस) से उम्मीद की जा रही थी कि जद(एस) किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है।
हालांकि, जेडी (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी ने शनिवार को कहा कि त्रिशंकु होने के स्थिति में सरकार के गठन के लिए अभी तक उनसे संपर्क नहीं किया गया है, उन्होंने कहा कि वह एक अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं।
मतगणना से पहले मीडिया से बात करते हुए कुमारस्वामी ने एग्जिट पोल का हवाला दिया, जिसमें जद (एस) को लगभग 30-32 सीटों की भविष्यवाणी की गयी थी और कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बढ़त के साथ कुछ ने इस सबसे पुरानी पार्टी के लिए बहुमत की भविष्यवाणी की थी और कहा था कि इन भविष्यवाणियों को उसके लिए विकल्प तलाशने की कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा,“अगले 2-3 घंटों में यह स्पष्ट हो जायेगा। एग्जिट पोल बताते हैं कि दोनों राष्ट्रीय दल बड़े पैमाने पर स्कोर करेंगे। पोल में जद (एस) को 30-32 सीटें दी गयी हैं। मैं एक छोटी पार्टी हूं, मेरे लिए कोई मांग नहीं है..मैं अच्छे विकास की उम्मीद कर रहा हूं।’
जद (एस) नेता ने कहा, “अब तक मुझसे किसी ने संपर्क नहीं किया है। पहले अंतिम परिणाम तक इंतज़ार करते हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक़, विकल्पों की कोई ज़रूरत नहीं है।आगे, देखते हैं।“
कर्नाटक में मतदान समाप्त होने के बाद जारी किए गए एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की थी कि जनता दल-सेक्युलर जद (एस) 2018 के चुनावों में जीती गई 37 सीटों को नहीं छू पायेगी, लेकिन राज्य में एक मज़बूत क्षेत्रीय खिलाड़ी बनी रहेगी।
कर्माटक में जमकर लड़े गये इस चुनाव में राजनीतिक दलों के हाई-पिच अभियान देखे गए, भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा ज़ोरदार चुनाव प्रचार में भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को अपनी पूरी ताक़त से प्रचार करने की अनुमति दी।
दूसरी ओर कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की, जो कि वैकल्पिक सरकारों के 38 साल पुराने पैटर्न को तोड़ने और राज्य में अपनी सत्ता बनाये रखने का प्रयास कर रही है।
राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस नेताओं ने विभिन्न रोड शो, रैलियां और चुनाव अभियान चलाये थे। 1985 से पांच साल की पूर्ण अवधि के बाद एक मौजूदा सरकार कर्नाटक में सत्ता में वापस नहीं आ पायी है।
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