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Mahatma Gandhi-Lal Bahadur Shastri की जनमानस पर छाप- पढ़ें रोचक किस्से

Mahatma Gandhi and Lal Bahadur Shastri: महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया के सामने ये साबित किया कि, धैर्य और सच्चाई के रास्ते पर चलकर कठिन से कठिन लड़ाई जीती जा सकती है। उन्होंने अंहिसा के मार्ग पर चलकर देश को स्वतंत्र करवाने में अहम भूमिका निभाई। आज 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया बापू की जयंती मना रही है। उन्हीं के साथ देश भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Mahatma Gandhi and Lal Bahadur Shastri) की 118वीं जयंती भी मना रहा है। दोनों महान हस्तियों ने (Mahatma Gandhi and Lal Bahadur Shastri) अपने कार्यों और विचारों से देश और दुनियाभर के जनमानस पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है।

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दोनों का जीवन हमेशा प्रेरणा देता रहेगा
महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के कार्यों और विचारों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और बाद में स्वतंत्र देश को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई। गांधी जी ने सादा जीवन उच्च विचार का उपदेश दिया तो वहीं, शास्त्री जी ने सादगी और विनम्रता सिखाई। शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया था।

देश को आकार देने में दोनों की अहम भूमिका
बापू की अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए चलाई गई सत्याग्रह जन आंदोलनों की भूमिका बड़ी रही। वहीं, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री का भी महत्वपूर्ण योगदान है। महात्मा गांधी हमेशा लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख देते थे और लाल बहादुर शास्त्री की छवि भी सबसे ईमानदार नेता की है। गांधी जी वो थे जो अपनी पत्नी से सिर्फ इस बात के लिए नाराज हो गये थे कि उन्होंने उनसे बिना बताये 4 रुपये रखे थे। उधर लाल बहादुर शास्त्री जी एक दुकान में अपनी पत्नी के लिए साड़ी खरीदने पहुंचे तो सबसे सस्ती साड़ी खरीदकर अपने सरल और साधारण स्वभाव का परिचय दिया।

गांधी जी का परिवार पहले करता था ये व्यवसाय
जरात के पोरबंदर में एक मोढ़ वैश्य परिवार में महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी के पिता ब्रिटिश शासन के दौरान पोरबंदर स्टेट के दीवान थे और मां पुतलीबाई एक ग्रहणी थीं। दादा ओता गांधी ने दो विवाह किए थे और पिता करमचंद गांधी ने चार शादियां की थीं। एक बहन और तीन भाइयों में मोहनदास सबसे छोटे थे। महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में अपने परिवार का परिचय दिया है। जिसमें बताया गया है कि उनका परिवार पहले पंसारी का व्यवसाय करता था।

पिता दीवान थे
दादा के अलावा उनकी तीन पीढ़ियां दीवानगीरी करती रहीं। राजनीतिक समस्या के चलते परिवार पोरबंदर छोड़कर तत्कालीन जूनागढ़ राज्य में चला गया। उनके पिते ने पोरबंदर की दीवानगीरी छोड़ी तो बाद में उन्हें राजस्थान कोर्ट में काम मिल गया। इसके बाद उन्होंने राजकोट और वांकानेर में दीवान का भी काम किया था। जीवन के अंतिम दिनों में उन्हें राजकोट दरबार से पेंशन मिलती थी।

13 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी शादी
जब गांधी जी 13 साल की उम्र में पहुंचे तो ही उनकी शादी हो गई। उनकी शादी के साथ ही परिवार के कुछ और भाईय़ों और बहनों का विवाह हुआ। गांधी जी के चार बेटे हरिलाल, मनीलाल, रामदास और देवदास थे।

लाल बहादुर शास्त्री 
उत्तर प्रदेश के बनारस यानी काशी से सटे मुगलसराय (अब दीनदयाल उपाध्याय नगर) अक्टूबर 1904 को जन्में लाल बहादुर शास्त्री के पिता का उनके बचपन में ही निधन हो गया था। कायस्त परिवार में जन्में शास्त्री जी के पिता का शारदा प्रसाद शिक्षक थे लेकिन उन्हें मुंशीजी कहा जाता था। बाद में राजस्व विभाग में उन्होंने लिपिक का काम भी किया था। मां रामदुलारी ग्रहणी थीं। शास्त्री जी को परिवार में सब प्यार से नन्हें कहकर बुलाते थे।

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जब डेढ़ साल के थे तभी पिता की हो गई थी मृत्यु
शास्त्री जी जब डेढ़ साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। जिसके बाद उनका परिवार संकट में घिर गया। घर की हालत ठीक नहीं थी जिसके चलते उनकी मां रामदुलारी ने अपने पिता यानी शास्त्री के नाना हजारीलाल के घर जाने का फैसला किया। ननिहाल मिर्जापुर में शास्त्री की बचपन की पढ़ाई हुई। बाद में वह हरिश्चचंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में पढ़े। शास्त्री की उपाधी मिलने के बाद उन्होंने अपना सरनेम श्रीवास्तव हटा दिया था। शात्री जी की शादी 1928 में हुई। मिर्जापुर की रहने वाली उनकी पत्नि ललिता से उनकी छह संतानें हुईं। दो बेटियां और चार बेटे। उनके बेटे अनिल शास्त्री कांग्रेस नेता और सुनील शास्त्री बीजेपी नेता हैं।

आईएन ब्यूरो

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