Hou Yanqi: नेपाल में चीन (Nepal-China) की राजदूत हाओ यांकी (Hou Yanqi) को हटा दिया गया है। ये वही हैं जिन्होंने भारत और नेपाल के रिश्तों को खराब करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। यांकी का ये जोर काम भी आया था। दरअसल, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली तो याद होंगे ही, जिनका जेहन चीनी कैद में है। केपी ओली सरकार के दौरान भारत संग रिश्ते नेपाल के काफी बिगड़ गये थे। उस दौरान कई चीजों को लेकर भारत और नेपाल का संबंध खराब हुआ। इन सब के पीछे चीन के इन्हीं राजदूत हाओ यांकी (Hou Yanqi) का हाथ रहा। इन्हें अब नेपाल से हटा कर आसियान देशों के मामले देखने के लिए इंडोनेशिया में भेज दिया गया है जहां पर वो राजदूत डेंग जिजुन की जगह लेंगी।
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भारत संग नेपाल के रिश्तों को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी
हाओ यांकी ((Hou Yanqi) ने भारत संग नेपाल (India-Nepal Relations) के रिश्ते को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ा। याद है जब नेपाल सरकार ने अपने देश का नया राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया था। जिसका भारत ने काफी विरोध किया था, इसके पीछे यांकी का ही हाथ था। उस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा अपने देश का हिस्सा बताया था। नेपाल ने कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अवैध रूप से अपना बताया। इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी खराब हो गये थे। लेकिन, बाद ने नेपाल सरकार बदली और यांकी को राजनीति से दूर किया गया। जिसके बाद रिश्ते में सुधार आई।
अगला कौन होगा?
काठमांडू में चीनी दूतावास ने पहले ही विदेश मंत्रालय को सूचित कर दिया है कि राजदूत हाओ अक्टूबर अंत में अपना कार्यकाल पूरा करेंगी। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्हें हाओ यांकी के अक्टूबर के अंत तक कार्यकाल खत्म होने की जानकारी है, लेकिन चीन ने अभी तक किसी उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया है। हाओ 2018 से काठमांडू में तैनात हैं। अभी तक इस बात की जानकारी नहीं हुई है कि क्या हाओ कार्यकाल खत्म होते ही देश छोड़ेंगी या फिर नवंबर में चुनाव तक का इंतजार करेंगी।
एक समय नेपाल में जमकर हुआ विरोध
हाओ यांकी न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका के खिलाफ भी अपना एजेंटा सेट करने में लगी थीं। पाकिस्तान में काम कर चुकी हाओ फर्राटेदार ऊर्दू बोलती हैं। नेपाल में उन्होंने कुछ दिनों के भीतर ही सत्ता के गलियारे में अपनी जबरदस्त पकड़ बना ली थी। नौबत यह तक आ गई थी कि, नेपाल सरकार उनके इशारों पर नाचती थी। भारत और अमेरिका के साथ नेपाल के संबंध खराब करने में इन्होंने पूरे जोर लगा दिया। लेकिन, जब असलीयत सामने आई तो काठमांडू में जमकर विरोध हुआ। हालांकि, बाद में नेपाल के विदेश मंत्रालय ने नियमों में बदलाव किया, जिसके तहत कोई भी राजनयिक प्रधानमंत्री से सीधे नहीं मिल सकते।
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अमेरिका ने भी नेपाल में अपना नया राजदूत नियुक्त किया है। डीन थॉम्पसन ने शुक्रवार को वॉशिंगटन डीसी में नेपाल के नए राजदूत के रूप में शपथ ली। अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी आर शर्मन ने राजदूत के रूप में शपथ दिलाई।
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