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नए CDS के आते ही पीछे हटने लगा China- बॉर्डर छोड़कर भाग रही चीनी फौजें!

Know Why China is in Tension With New CDS Anil Chauhan

CDS Anil Chauhan Tension for China-Pak: देश के दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान (CDS Anil Chauhan) के आते ही चीन और पाकिस्तान (CDS Anil Chauhan Tension for China-Pak) में खलबली मच गई है। अनिल चौहान के CDS का पदभारत संभालते ही चीन पीछे हटने लगा। दरअसल, अनिल चौहान चीन के तह तक जाकर उसकी हर चाल को भलीभांती समझते हैं। उन्हें अच्छे से पता है कि ड्रैगन कब और क्या करेगा। उसकी सोच कहां तक जा सकती है। उसका अलग कदम क्या होगा? यही कारण है कि चीन इस वक्त टेंशन में है और यह देखने को भी मिल रहा है। अनिल चौहान के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त होते ही चीन पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 से अपने सैनिकों को हटाने लगा है। हालांकि, भारत भी अपनी सेनाओं को पीछे हटा रहा है। लेकिन, एक तरह से देखा जाए तो चीन को अच्छे से अंदाजा है कि नए सीडीएस से उलझना उसके लिए सही नहीं है। उधर चीन के साथ ही पाकिस्तान (CDS Anil Chauhan Tension for China-Pak) की भी अब खैर नहीं।

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चीन के लिए क्यों बने टेंशन
अपने सेना काल में 40 साल का अनुभव लेकर देश के दूसरे CDS बने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के आने से चीन की सीमा पर गतिविधियों में कमी आएगी। “उनके सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से चीन एक है लेकिन, असल में देखा जाए तो वो खुद चीन के लिए बड़ी चुनौती हैं।” ऐसा इसलिए क्योंकि, वो लंबे समय तक आर्मी की ईस्टर्न कमांड में भी रहे हैं। जिसके चलते उनको चीन मामलों का एक्सपर्ट कहा जाता है। वर्ष 2020 में चीन के साथ गलावन वैली में जो संघर्ष हुआ था उस दौरान चौहान कमांडर थे और उन्हें इन क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। उधर नॉर्थ ईस्ट में भी उनकी पकड़ ऐसी है कि जिसका अंदाजा कोई लगा ही नहीं सकता।

नॉर्थ ईस्ट की अच्छी जानकारी
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान नॉर्थ ईस्ट में एक कोर की कमान भी संभाल चुके हैं। इसके बाद वो आर्मी कमांडर भी बने। ऐसे में नॉर्थ ईस्ट के बारे में उन्हें काफी अच्छी जानकारी है। भारत को सबसे ज्यादा खतरा चिकन नेक एरिया के पास है जो सिलीगुड़ी में है। ये 33 कोर में आता है वहीं, दूसरा अरुणाचल प्रदेश है। यहां चीन आंखे गढ़ाये बैठा रहता है। ऐसे में चीन के खिलाफ कैसे निपटना है, हमारी इंफ्रास्ट्रक्चर खामियां क्या हैं, क्या हमारी मॉर्डनाइजेशन की जरूरतें हैं, किस प्रकार के हथियार चाहिए, किस तरह के मॉर्डन सिस्टम हमें चाहिए…. इन सारी चीजों की अनिल चौहान को काफी अच्छी जानकारी है। उनका यही अनुभव ड्रैगन को खाए जा रहा है और देश के लिए आगे उनका यही तजुर्बा काम भी आने वाला है।

जम्मू-कश्मीर से पूरी तरह साफ होगा आतंक
नए सीडीएस के आ जाने से उम्मीद है कि अब घाटी से आतंक पूरी तरह से साफ हो जाएगा। क्योंकि, आतंक के खिलाफ उनका जो अनुभव है वो यही कह रहा है। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान को आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन का लंबा अनुभव है। बारामूला में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभालने के दौरान उन्होंने कई आतंक विरोधी अभियानों का सफल नेतृत्व किया था। पाकिस्तान को बालास्ट्राइक वाला दर्द तो याद ही होगा। ये जख्म भी उसे देने वाले अनिल चैहान ही हैं। बालाकोट एयरस्ट्राइक का भी दिमाग इन्हीं को कहा जाता है। बालाकोट स्ट्राइक के दौरान वे मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल यानी DGMO थे। ऐसे में पाकिस्तान ज्यादा खौफ में है कि, अगर घाटी में उसने कुछ किया तो अब उसकी खौर नहीं।

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उग्रवाद के खिलाफ गजब का अनुभव

पूर्वोत्तर में रहने के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने उग्रवाद का भी मुकाबला किया था। भारत और म्यांमार की सेना के ऑपरेशन सनराइज के पीछे भी इन्हीं का दिमाग था। भारतीय जवानों ने म्यांमार की सीमा के अंदर जाकर उग्रवादियों का सफाया किया था। ये ऑपरेशन तीन हफ्ते चला और इस दौरान उग्रवादी संगठनों… कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी KLO, NSCN खापलांग, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोरोलैंड यानी NDFB के 6 दर्जन के करीब उग्रवादियों को गिरफ्तार भी किया गया। साथ ही उग्रवादी संगठनों के कैंपों को भी ध्वस्त कर दिया गया था।