चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारत ने एलएसी पर गरुड़ और पारा कमाण्डोज के बाद बेहद घातक मार्कोस कमाण्डो (Marcos Commandos) दस्ते को भी तैनात कर दिया है। एलएसी पर मार्कोस कमाण्डो (Marcos Commandos) दस्तों की तैनाती सिर्फ चीन पर दबाव बनाने के लिए किया गया है या फिर भारत वास्तव में चीन के खिलाफ भी कोई सर्जिकल स्ट्राइक करने जा रहा है- यह अभी संशय बना हुआ है। हालांकि पीएलए के एक रिटायर्ड जनरल ने कहा है कि भारत ने अक्साई चिन पर कब्जा करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए मार्कोस कमाण्डो (Marcos Commandos) तैनात किए हैं।
एलएसी पर मारकोज कमांडो की तैनाती से दुश्मन के मंसूबों को नाकाम करने में आसानी होगी और चीन पर दबाव बढ़ेगा। मरीन कमांडो की तैनाती के साथ इंडियन एयरफोर्स, इंडियन आर्मी और इंडियन नेवी की ताकत में और इजाफा होगा। मरीन कमांडो की तैनाती का मकसद, तीन सेवाओं के एकीकरण को बढ़ाना और अत्यधिक ठंड के मौसम की स्थिति में नौसैनिक कमांडो को एक्सपोजर प्रदान करना है। जानकारी के मुताबिक 'मार्कोस को पैंगोंग झील क्षेत्र में तैनात किया गया है, जहां भारतीय और चीनी सेना इस साल अप्रैल-मई के बाद से लगातार संघर्ष की स्थिति में हैं।' नौसेना के इन कमांडो को नई नाव भी मिलेंगी जिससे उन्हें पैंगोंग झील में किसी भी तरह के ऑपरेशन में आसानी होगी।
स्पेशल फ्रंटियर फोर्स सहित भारतीय सेना की <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Special_forces_of_India"><strong><span style="color: #000080;">स्पेशल फोर्स </span></strong></a>लंबे समय से स्पेशल ऑपरेशन करने के लिए पूर्वी <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/ladakh-border-standoff-chinese-soldiers-severe-winter-morale-weakened-19245.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer"><strong><span style="color: #000080;">लद्दाख</span> </strong></a>में अपने काम को अंजाम रहे हैं। मालूम हो कि सीमा पर विवाद सुलझाने को लेकर भारत और चीन के बीच कई दफा कमांडर्स की मीटिंग हो चुकी है बावजूद इसके ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लिहाजा इतना तय माना जा रहा है कि दोनों ही देशों की सेनाओं को कड़कती ठंड में भी तैनात रहना होगा।
ध्यान रहे, भारतीय वायु सेना के गरुड़ विशेष बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा की हिल्टनटॉप पर स्थांनतरित कर दिया गया है। एलएसी की इस ऊंचाई वाली जगह पर अक्सर दुश्मन देश के विमान जो भारतीय हवाई अंतरिक्ष का उल्लंघन करने की कोशिश कर सकते हैं। लिहाजा यहां पर वायु सेना के गरुड़ स्पेशल फोर्स को तैनात किया गया है।
मरीन के कमाडों बेहद खतरनाक ट्रेनिंग के बाद तैयार होते हैं। बताया जाता है कि जब एक हजार जवान आवेदन देते हैं तो उनमें से कोई एक मार्कोज कमांडो बन पाता है। मार्कोज कमांडोज की क्षमता कल्पनाओं से परे हो सकती है। चाहे अरब सागर की गहराई में बिना ऑक्सीजन युद्ध हो या बर्फीले पानी वाली वूलर झील में – मार्कोस कमांडोज़ आधे-आधे घंटे तक लड़ सकते हैं।.
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