असम में जांच के बाद 86 हजार से अधिक लोग विदेशी घोषित हुए हैं। वहीं राज्य में संदिग्ध मतदाताओं के 83 हजार से अधिक मामले  सामने आए हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार ने रविवार को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी है।
केंद्र सरकार ने डिटेंशन सेंटर और उसमे रखे गए लोगों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होने की बात कही है। सरकार का कहना है कि राज्य सरकारों की ओर से घुसपैठियों के लिए बनाए गए डिटेंशन सेंटर का ब्यौरा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है।
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद प्रो. सौगत रॉय ने रविवार को गृह मंत्री से एक तारांकित सवाल में पूछा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में कितने लोग राज्यवार विदेशी घोषित किए गए हैं। देश में कितने डिटेंशन सेंटर स्थापित किए गए हैं और वहां कितने लोग डिटेन हैं।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सवाल का लिखित जवाब देते हुए बताया कि वर्तमान में केवल असम में फॉरेन ट्रिब्यूनल कार्य कर रहे हैं। असम सरकार ने बताया है कि फॉरेन ट्रिब्यूनल में राज्य में संदिग्ध वोटरों के 83008 मामले लंबित हैं। वहीं वर्ष 2015 से 30 जून 2020 तक असम में 86756 लोग विदेशी घोषित किए गए हैं।
गृह राज्य मंत्री ने बताया, "वर्ष 2005 की एक रिट पर उच्चतम न्यायालय की ओर से 28 फरवरी 2012 को दिए आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने 7 मार्च 2012 को राज्य सरकारों को डिटेंशन सेंटर को लेकर निर्देश दिए थे। राज्य सरकारों की ओर से डिटेंशन सेंटर उन अवैध घुसपैठियों और विदेशी नागरिकों को मूल देश में वापस भेजने तक डिटेन करने के लिए स्थापित किए जाते हैं, जिन्होंने सजा पूरी कर ली है। गृह राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकारों की ओर से स्थापित डिटेंशन सेंटर और इसमें डिटेन (निरुद्ध) व्यक्तियों के ब्यौरे केंद्रीय स्तर पर नहीं रखे जाते।".
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