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रावण के 10 आधुनिक चेहरों का हो सर्वनाश: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

Muslim Rashtriya Manch on Dussehra: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने देशवासियों को दशहरे (Muslim Rashtriya Manch on Dussehra) की हार्दिक बधाइयां देते हुए कहा है कि बुराई पर अच्छाई की जीत से सबक लेते हुए हमें आधुनिक रावण के 10 चेहरे – अशिक्षा, अज्ञानता, अक्षमता, अभाव, अहंकार, अभद्रता, अराजकता, असामाजिकता, अत्याचार और अन्याय रूपी असुरों की आहुति देनी होगी। मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा कि जिस तरह तीन तलाक, धारा 370, 35A, पीएफआई रूपी रावण (PFI) का केंद्र सरकार ने वध किया है वैसे ही अब वक्त आ गया है कि “शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष”, “सर तन से जुदा” जैसे हेट स्पीच और “आतंकवादियों के बम विस्फोट” पर त्वरित कार्रवाई, “जनसंख्या नियंत्रण” पर कानून, “मजहबी कट्टरता” दूर कर के भाईचारा बढ़ाना और “समान आचार संहिता” को देशभर में लागू कर समाजिक कुरीतियों और कानूनी कमियों व खामियों में संशोधन कर विजय प्राप्त की जाए। दशहरा के मौके (Muslim Rashtriya Manch on Dussehra) पर मंच की तरफ से राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल और शाहिद अख्तर ने देशवासियों से आह्वान किया कि सभी धर्मों, समुदायों, वर्ग विशेष से मिल जुल कर दशहरे को हर्षो उल्लास से मनाएं और देश की एकता, अखंडता, भाईचारे और समृद्धि को बनाए रखें। मंच की ओर से कहा गया कि यदि हम एक दूसरे की भावनाओं, विचारों, त्योहारों और धर्मों की कद्र करेंगे तो मजहबी कट्टरता दूर होगी जिससे भाईचारा बढ़ेगा और देश का चौमुखी विकास होगा।

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किन-किन मुद्दों पर हुई अहम चर्चा

  • विवाह की तय हो नियुन्तम आयु
  • लागू हो समान आचार संहिता
  • जनसंख्या नियंत्रण का बने कानून
  • हेट स्पीच पर हो त्वरित कार्रवाई
  • आतंकवादियों पर नकेल जरूरी
  • मजहबी उन्माद का हो खात्मा
  • शुक्रवार न बन सके पत्थरवार

मंच के राष्ट्रीय संयोजक रजा हुसैन रिजवी और इस्लाम अब्बास ने कहा कि कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी समान आचार संहिता को लेकर बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि गोवा बेहतरीन उदाहरण है वहां पुर्तगाल सिविल कोड 1867 लागू है जिसके तहत उत्तराधिकार और विरासत का नियम लागू है। अदालत ने कहा था कि यह देखने वाली बात है कि संविधान के नीति निर्देशक तत्व में यूनिफॉर्म सिविल कोड को डील किया गया है और उम्मीद की गई थी कि राज्य इसे लागू करने का प्रयास करेगा पर अभी तक प्रयास नहीं हुआ। हिंदू लॉ 1956 में बनाया गया लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने का प्रयास नहीं हुआ।

भारत फर्स्ट के राष्ट्रीय संयोजक शिराज़ कुरैशी और इमरान चौधरी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड, पर्सनल लॉ को लेकर लॉ कमीशन की रिपोर्ट पेश की गई थी तब कमीशन ने कहा था कि इस स्टेज पर यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं है। मौजूदा पर्सनल कानूनों में सुधार की जरूरत है। धार्मिक परम्पराओं और मूल अधिकारों के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है। मंच का मानना है कि जैसे जैसे समय बीत रहा है समान आचार संहिता की जरूरतें सामने आरही हैं और इसे लागू किया जाना जरूरी है।

राष्ट्रीय संयोजक माजिद तालिकोटी और एम ए सत्तार ने कहा कि कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर को अलग संविधान, नागरिकता, झंडा देकर अलगाववाद का बीज बोया था जिसे राष्ट्रवादी नरेंद्र मोदी सरकार ने खत्म कर दिखाया कि किस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। आज कश्मीर में तुष्टिकरण नहीं बल्कि राष्ट्रवादी सरकार अपने दृढ़ इच्छा शक्ति से जन जन में भारतीयता और अपनेपन का अलख जगा रही है। कश्मीर में पांच पांच सौ रुपए लेकर पत्थरबाजी करने वाले विलुप्त हो चुके हैं। कश्मीरी युवा पढ़ाई और खेल कूद में आगे बढ़ रहे हैं। कश्मीर के युवा उमरान मालिक आज न सिर्फ भारतीय क्रिकेट टीम के बल्कि विश्व के सर्वाधिक तेज गति से गेंद फेंकने वाले गेंदबाज हैं। पिछले कुछ समय में मोदी सरकार की पहल पर शिक्षा पर जो खास ध्यान दिया गया है इसका परिणाम घाटी से कई युवाओं के यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी के तौर पर भी देखा जा सकता है।

महिला विंग की राष्ट्रीय संयोजिका शहनाज अफजल और शालिनी अली ने रावण दहन की बधाई देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि कच्ची उम्र में शादी जैसी मानसिक रूप से दूषित और कुपोषित असमाजिक विचारधारा पर भी कानूनी तौर पर लगाम लगाया जाए। संयोजिकाओं में फातिमा अली और रेशमा हुसैन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सबल सजग सशक्त भारत के लिए जरूरी है कि मानसिक और शारीरिक रूप से विकसित आयु अर्थात 21 वर्ष में शादी की नियुंतम उम्र तय की जाए। आज समस्या यह है कि 12 से 14 वर्ष की आयु में हजारों की तादाद में बच्चियों की शादी हो जाती है और 20 से 22 वर्ष की आयु पहुंचने तक वह 4 से 6 बच्चों की मां बन चुकी होती हैं। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि यह कुपोषित परिवार एक कुपोषित समाज का निर्माण करता है जिसका सीधा असर हमारे देश पर पड़ता है।

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मंच के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक खुर्शीद रजाका और इरफान अली का मानना है कि आज के आधुनिक युग में रावण को हराने के लिए शस्त्र उठाने की जरूरत नहीं होती है बल्कि शास्त्रार्थ करने की अरूरत होती है। मंच की ओर से उदाहरण देते हुए कहा गया कि चीन की तरफ से जब ऐसे हालात बना दिए गए जिससे लगने लगा कि भारत को एक छोटे युद्ध के लिए धमकाया और उकसाया जा रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम चीन को युद्ध से नहीं संवाद से जवाब देंगे। इसके बाद भारत ने कूटनीतिक रूप से इतना दबाव बनाया कि बिना युद्ध के चीन को डोकलाम से पीछे हटना पड़ा।

आईएन ब्यूरो

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