‘गोरखा CDS’ चौहान क्या करेंगे! चीन को थप्पड़ और नेपाल को प्यार की थपकी

CDS Anil Chauhan Challenges:  देश के दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS)  अनिल चौहान  (CDS Anil Chauhan) ने कार्यभार संभाल लिया है। इससे पूर्व उन्होंने शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धाजलि दी। तीनों की संयुक्त बटालियन ने चीफ ऑफ डिफेंस अनिल चौहान को सलामी गारद पेश किया। इसके बाद उन्होंने कुर्सी संभाली। देश के दूसरे सीडीएस के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। उनकी यह राह काटों से भी है। उन्हें एक साथ कई फ्रंट पर कई चुनौतियों का मुकाबला करते हुए कम समय में ही अपनी काबिलियत को साबित करना होगा। उनके सामने एक ओर चीन के साथ तानातनी है तो दूसरी ओर पाकिस्तान है जिसके अतंकवाद के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़नी है।

हालांकि, इन दोनों में ही उन्होंने महारात हासिल की है इसलिए उनके लिए ये ज्यादा कठिन नहीं है। एक ओर वो चीन के मामलों में एक्सपर्ट हैं तो दूसरी ओर वो आतंकवाद के खिलाफ अभियानों में महारत हासिल किये हुए हैं। उधर उनके आने से देश को कई फायदे भी हैं, जिसमें से नेपाल के साथ रिश्तों में और भी ज्यादा मजबूती आएगी। क्यों कि भारतीय सेना में उनका इनिसिएशन 11 गोरखा राइफल्स में हुआ था। इस रेजिमेंट अधिकांंश रणबांकुरे गोरखा ही होते हैं। जो प्रायः नेपाल, पूर्वोत्तर और हिमाचल से आते हैं। अग्निवीर स्कीम में नेपाली गोरखाओं की भर्ती में आरही अड़चनों को भी सीडीएस रावत काफी हद तक सुलझा सकते हैं। ऐसी अपेक्षा है। आईए जानते हैं उनके सामने की चुनौतियां और आने के फायदे।

यह भी पढ़ें- चक्रव्यूह में चीन, पाक पसोपेश में- Anil Chauhan बने इंडिया नए CDS

थियेटर कमांड
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के सामने सेना के तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना के एकीकरण और थियेटर कमांड बनाना एक बड़ी चुनौती है। थियेटर कमांड यानी देश की तीनों सेनाएं एक छत के नीचे। दरअसल, देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) ने भविष्य में देश में थियटर कमांड्स (Theatre Commands) बनाए जाने की बात कही थी। ताकि, युद्ध के दौरान दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। थियेटर कमांड एक ऐसा सांगठनिक ढांचा है जिसके तहत सभी सैन्य संसाधनों का एकीकृत कंट्रोल तैयार किया जाता है, इसका मकदस युद्ध की स्थिति में सेना की जवाब देने की क्षमता को ज्यादा मारक और प्रभावी बनाना है। बिपिन रावत इसपर काम कर रहे थे लेकिन, उनका असामयिक निधक हो गया जिसके चलते ये प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। अनिल चौहान के सामने ये प्राथमिक चुनौती है।

चीन के साथ चुनौतियां
अनिल चौहान के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती एलएसी पर चीन के साथ चल रही तनातनी है। फिलहाल गोगरा हॉट स्प्रिंग से दोनों देशों के सेनाओं की डिस्एंगेंजमेंट हो चुकी है। लेकिन, चीन पर भरोसा करना यानी पैर पर कुल्हाणी मारने जैसा है। चीन के साथ भारत एक लंबा बॉर्डर साझा करता है। भारत तो शांति कायम करने की कोशिश करता है लेकिन, दगाबाज चीन की नियत हमेशा से दूसरे के सीमाओं में घुसने की रही है। लद्दाख के साथ ही उधर अरुणाचल प्रदेश संग कुछ और नॉर्थ ईश्ट के राज्य पर भी चीन की बुरी नजर रहती है। ऐसे में चौहान के सामने ये भी बड़ी चुनौती है। हालांकि, नागालैंड के दीमापुर में कोर कमांडर के तौर पर वे अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी को काफी करीब से देख चुके हैं। वो चीन के रग-रग से वाकिफ हैं। उन्होंने चीन को बेहद ही करीब से न सिर्फ देखा है बल्कि पढ़ा है। ऐसे में ड्रैगन से निपटने के लिए उनका ये अनुभव काफी काम आएगा।

पाकिस्तानी पैंतराबाजी भी बड़े टास्क से कम नहीं
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के सामने पाकिस्तान की पैंतरेबाजी से निपटना भी किसी बड़े टास्क से कम नहीं होगा। हालांकि, उनके पास आतंकवाद के खिलाफ तजुर्बा बेजोड़ रहा है। आतंकि उनके नाम से ही खौफ खाते हैं। उन्होंने कई आतंकी अभियानों को हैंडल किया है। जम्मू-कश्मीर के बारामूला से आतंकियों का सफाया करने में उनका ही बड़ा हाथ रहा है। इस वक्त सरकार की ओर से मिली छूट के चलते आतंकियों को सेना ने खदेड़ दिया है। चिजसे चलते नियंत्रण रेखा पर पिछले कुछ समय से काफी शांति हैं। लेकिन, फिर भी पाकिस्तान लगातार कश्मीर में आतंक फैलाने की पूरी कोशिश करता है।

अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करेगा पाकिस्तान
ऐसे में पाकिस्तान जरूर अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करेगा। हालांकि, किसी भी घटिया हरकत को अंजाम देने से पहले पाकिस्तान को बालाकोट एयरस्ट्राइक के बारे में याद करना चाहिए। क्योंकि, ये अनिल चौहान की ही दिमागी सोच थी। उस दौरान वो डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस थे। इसलिए बॉर्डर्स पर हो रही पाकिस्तान की हर गतिविधियों का उन्हें अच्छा अनुभव है।

सेना का आधुनिकीकरण
वार फ्रंट के अलावा देश के अंदर सेना का आधुनिकीकरण, नए हथियारों की खरीद, रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को बढ़ावा देना भी कुछ ऐसे मोर्चे हैं जहां अनिल चौहान को अपने नेतृ्त्व और प्रबंधन कौशल को साबित करना पड़ेगा.

कश्मीर में चुनाव होगी चुनौती
अगले कुछ दिनों में सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव का ऐलान करने की तैयारी में है। ऐसे में पाकिस्तान जरूर आतंक फैलाने की कोशिश करेगा। इस दौरान अनिल चौहान के सामने ये भी बड़ी चुनौतियों में से एक होगा।

CDS से होने वाले देश को फायदे
CDS अनिल चौहान का तजुर्बा काफी लंबा रहा है। उनका सेवाकाल 40 वर्ष का रहा है। ऐसे में उनके पास अनुभव की कमी नहीं है। वो एक ओर चीन के रग-रग से वाकिफ हैं तो दूसरी ओर पाकिस्तान से भी अच्छी तरह से परिचित हैं। वो चीन के मामलों में एक्सपर्ट हैं, उसकी हर चाल पर उनकी पकड़ मजबूत है। ऐसे में देश को उनके आने से यहां पर सबसे ज्यादा फायदा मिलने वाला है। आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने कई सक्सेसफुल अभियान चलाए हैं।

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइकः 6 साल में कितना बदला भारत का ‘दुश्मन’

नेपाल के साथ मजूबत होंगे रिश्ते
दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) अनिल चौहान को बनने से नेपाल संग रिश्ते मजबूत होंगे। दरअसल, उन्‍हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। जाहिर है कि उनके आने से अग्निपत योजना के तहत नेपाली गोरखाओं के भर्ती पर भी फर्क पड़ेगा। ये भर्ती फिलहाल नेपाल की ओर से जवाब न आने के चलते रूकी हुई है।

Vivek Yadav

Writer

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago