Pakistan के इंटेलेक्चुअल्स बोले, POK भारत को ही सौंप दो, PM Modi ने Kashmir को फिर से जन्नत बना दिया

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पाकिस्तान के इंग्लिश अखबार डॉन में 11 अगस्त को एक ओपिनियन आर्टिकल पब्लिश हुआ। जिसका शीर्षक था ‘दि ओवरराइप एप्पल।’इस ओपिनियन आर्टिकल में चीन-ताइवान का जिक्र है। ताइवान के बहाने एफएस ऐजाज़ुद्दीन ने कश्मीर को लेकर ऐसा तीर चला है जो कट्टरपंथी आतंकपरस्त पाकिस्तानियों के सीने के पार हो गया है। पाकिस्तान के आतंकपरस्त सियासी नेताओँ को लग रहा है कि ऐजाज़ुद्दीन ने शहरग कश्मीर को काट दिया है।</p>
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एफएस ऐजाज़ुद्दीन पाकिस्तान के प्रभावशाली शख्सियतों में शुमार होते हैं। पाकिस्तान की ब्यरोक्रेसी की क्लॉसेस लेते रहते हैं। अपने को तुर्रमखान समझने वाले पाकिस्तानी तुर्रम खान भी एफएस ऐजाजुद्दीन के पास इल्म हासिल करने जाते हैं। चीन-ताइवान के बीच उपजे तनाव पर उन्होंने लिखा कि 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन इस समस्या का हल नहीं निकला है। न चीन पीछे हटने को तैयार है और ताइवान वो तो अपने को लगभग आजाद घोषित कर चुका है। चीन के मुकाबले काफी छोटा है। संसाधन-पॉपुलेशन, रेवेन्यु सब कुछ चीन के सामने न के बराबर है। फिर भी चीन के सामने डटकर मुकाबला कर रहा है।</p>
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एफएस ऐजाज़ुद्दीन ने ओपिनियन आर्टिकल की शुरुआत अमेरिकी हिमाकत (पाकिस्तानी नजरिए) से की है। उन्होंने लिखा है अमेरिका महत्वाकांक्षा कुछ-कुछ हिटलर जैसी हैं। वो पहले विश्वयुद्ध के बाद के सपनों में जी रहा है। उसे लगता है कि अपनी सैन्य शक्ति के बल पर वो चीन सागर हो या प्रशांत महासागर पर अपना दबदबा बनाए रख सकता है। इसीलिए अमेरिका ने चीन के दुश्मन ताइवान से सैन्य संरक्षण समझौता किया है। लेकिन 21वी शताब्दी में रूस और चीन अमेरिकी महत्वाकांक्षा को धूल चटा सकते हैं।</p>
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एफएस ऐजाज़ुद्दीन यूक्रेन, वियतनाम, अफगानिस्तान, स्वीडन और फिनलैण्ड का जिक्र करते हैं। जर्मनी, फ्रांस, इटली और रूस के ऊर्जा और आर्थिक मामलों का भी जिक्र करते हैं। वो तुर्की, लेबनान और आयरलैँड के अलावा यूनाइडेट नेशनंस का भी मुखतलिफ तरीकों से जिक्र करते हैं। वो यह भी कहते हैं कि अमेरिका ने ताइवान के लिए चीन के खिलाफ दांव लगा दिया है। पाकिस्तान में विस्फोट जैसा कुछ लिखने से पहले एफएस ऐजाज़ुद्दीन सवाल उठाते हैं अमेरिका ने वन चाइना पॉलिसी का विरोध नहीं किया है, वो पूछते हैं आखिर इसका क्या मतलब है, क्या 24 मिलियन ताइवानी चीन के प्रति समर्पित होने वाले हैं या फिर एक अरब 40 करोड़ चीनी पब्लिक ताइवान को अपना मूल राष्ट्र मानेगी?</p>
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एसएफ ऐजाज़ुद्दीन का विस्फोट वक्तव्य यहां से शुरू होता है कि 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन दोनों ओर के चीन ही खुद को वास्तिवक चीन मानते हैं। संयुक्त राष्ट्र के दखल के बावजूद अभी तक हल नहीं निकला है। ठीक उसी तरह जैसे कश्मीर पर 74 साल से कोई हल नहीं निकला है। दोनों ओर के कश्मीर जनमत संग्रह के करीब नहीं पहुंचे हैं।</p>
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ऐजाज़ुदीन कहते हैं कि हम पाकिस्तानी कश्मीर को लेकर केवल दिखावा करते हैं। उनका कहने का मतलब है कि पाकिस्तान कश्मीर पर व्यवहारिक तौर पर सीरियस है नहीं तो क्यों न सैद्धांतिक तौर पर हम कश्मीर इश्यू के बारे में फिर से सोचें। यहां उनके कहने का मतलब है कि कश्मीर बंटबारे के समय से भारत का हिस्सा है। कबायलियों की शक्ल में पाकिस्तानी फोजियों ने उसके एक हिस्से पर कब्जा कर लिया था।</p>
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पीओके पर कब्जे को 74 साल हो चुके हैं तो क्यों न इस कब्जे वाले कश्मीर को इंडिया के हवाले कर रिश्ते हमेशा के लिए ठीक कर लिए जाएं। उन्होंने ठोस सांकेतिक भाषा में कहा Would it be profane for someone to question whether we should re-examine our ‘principled stand’ on Kashmir?)। उन्होंने कहा कि इंडिया के पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर अपनी पकड़ बहुत मजबूत कर ली है। वो जहां हैं वहां से आगे तो बढ़ने के चांसेज हैं लेकिन पीछे हटने के बिल्कुल नहीं। पाकिस्तानी सरकार, इस्लामाबाद में बैठकर कश्मीर डे सेलिब्रेट करते हैं।</p>
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किसी को भारतीय कश्मीर की स्थिति के बारे में कुछ मालूम है? क्या पाकिस्तानी सरकार के किसी मंत्री या ओहदेदार ने भारतीय कश्मीर की स्थिति का जायजा लिया है? मैंने कश्मीर का दौरा किया है। मैंने सोनमर्ग तक यात्रा की है। मुझे यह उम्मीद थी कि वहां के लोगों के मन में पाकिस्तान के लिए कोई गुंजाइश होगी, लेकिन मेरी यह धारणा गलत निकली। वहां के लोग पाकिस्तान को नहीं चाहते। ठीक वैसे ही जैसे ताइवान के लोग चीन के साथ शामिल होना नहीं चाहते हैं।</p>
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आखिर में वो तंज कसते हैं कि एक बार माओत्से तुंग ने कहा था कि ताइवान पके हुए सेव की तरह चीन की गोद में गिर जाएगा! ये कश्मीर (गुलाम कश्मीर) कब तक लटका रहेगा, मतलब भारत की गोद में गिरना लाजिमी है।  </p>
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एफएस ऐजाज़द्दीन का ये लास्ट पैराग्राफ पाकिस्तानियों के सीने में नश्तर की उतर गया है। क्यों कि ऐजाज़ुद्दीन ने सच्चाई बयां कर दी है। लोग उनके पीछे लाठी लेकर पड़ गए हैं, और ऐजाज़ुद्दीन हैं कि अपनी सच्ची बात पर डटे हुए हैं। बहुत से पाकिस्तानियों ने डॉन अखबार दबाव डाला है कि आर्टिकल हटा दिया जाए। ऐजाज़ुद्दीन का यह लेख जाहिर करता है कि पाकिस्तान के एक बड़े इंटलेक्चुअल ग्रुप और पाकिस्तान की ब्यूरोक्रेसी के एक बड़े वर्ग ने मन बना लिया है कि भारत के हिस्से का कश्मीर भारत को वापस किया जाए। तरक्की करने और गुरबत से निकलने के लिए भारत के साथ दुश्मनी के सारे अध्याय बंद किए जाएं। पाकिस्तान कटोरा लेकर जो दर-दर भटक रहा है वो भी नहीं भटकना पड़ेगा। पाकिस्तान,  भारत की मदद से अपने सारे घरेलू मसलह-मसाइल भी इज्जत के साथ निपटा सकता है।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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