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लाल किले से PM Modi का ऐतिहासिक संबोधन औरंगजेब के सामने झुके नहीं शीश कटवा दिया बने हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर

हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर

हिंदुस्तान में मुस्लिम शासकों के अत्याचारों के आगे अटल चट्टान सी बनकर डट जाने वाले गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने कहा कि गुरु जी ने अपना शीश कटवा दिया मगर अत्याचारी शासक औरंगजेब के समाने न झुके न इस्लाम को स्वीकार किया गुरु तेग बहादुर जी ने अपना बलिदान देकर हिंदुस्तान के इस्लामीकरण पर रोक लगा दी।

गुरुतेग बहादुर जी शहादत की कहानी तो श्री गुरु तेग बहादुर जी का जन्म वैशाख कृष्ण पंचमी विक्रमी संवत १६७८ (1 अप्रैल, 1621) को गुरु हरगोबिंद साहिब और माता नानकी के यहाँ हुआ था।वे सिखों के नौवें गुरु थे जिन्होंने गुरु नानक के बताए मार्ग का अनुसरण करते रहे। उनके रचित 115 पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं।

दिल्ली के लालकिले से देश को ऐतिहासिक संबोधन में उन्होंने कहा, ' पवित्र शीशगंज गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था।'मोदी ने कहा, उस समय देश में इस्लामी मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी।' ऐसे समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, गुरु नानकदेव जी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। गुरु तेग बहादुर जी के अनुयायी हर तरफ हुए। पटना में पटना साहिब और दिल्ली में रकाबगंज साहिब, हमें हर जगह गुरुओं के ज्ञान और आशीर्वाद के रूप में ‘एक भारत’ के दर्शन होते हैं।

मोदी ने कहा कि श्री गुरुग्रंथ साहिब जी हमारे लिए आत्मकल्याण के पथप्रदर्शक के साथ साथ भारत की विविधता और एकता का जीवंत स्वरूप भी हैं। इसलिए, जब अफग़ानिस्तान में संकट पैदा होता है, हमारे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को लाने का प्रश्न खड़ा होता है, तो भारत सरकार पूरी ताकत लगा देती है।

आत्मनिर्भर भारत की बात करते हुए मोदी ने कहा, भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा नहीं पैदा किया। आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति लक्ष्य का सामने रखते हैं।

उन्होंने कहा, नई सोच, सतत परिश्रम और शत-प्रतिशत समर्पण, ये आज भी हमारे सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है