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लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के उत्तर में बोलते हुए हंगामे के बीच पीएम मोदी ने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। इस वाकये के माध्यम से उन्होंने बताया कि यथास्थिति कायम रखने की प्रवृत्ति हमें कहां ले जा सकती है?&nbsp;&nbsp;</p>
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पीएम मोदी ने बताया, साल 1970 में वेतन आयोग की बैठक चल रही थी। इस बैठक में आयोग के अध्यक्ष के पास एक लिफाफा आया, जिस पर अति गोपनीय लिखा था। उसमें एक व्यक्ति ने लिखा था कि वह लंबे समय से सीसीए के पद पर कार्य कर रहा है, लेकिन उसकी तनख्वाह ही नहीं बढ़ रही। जब आयोग के सदस्यों ने खंगाला तो पता चला कि ऐसा तो कोई पद रिकॉर्ड पर है ही नहीं।</p>
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इस मामले में आयोग के सदस्यों ने उन्हीं सज्जन से पूछा कि आप ही बताओ कि यह क्या पद है, क्या काम करते हो? उन सज्जन ने कहा कि यह तो गोपनीय जानकारी है और वह 1975से पहले नहीं बता सकते। तब आयोग के अध्यक्ष ने कहा, यह तो बड़ी मुश्किल है। फिर आप ऐसा कीजिए कि 1975के बाद जो आयोग बैठेगा, उसे बताइएगा।</p>
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बात बिगड़ती देख उस व्यक्ति ने राज खोला। उसने बताया कि सीसीए का कुल मतलब है चर्चिल सिगार असिस्स्टेंट। मामला कुछ यूं था कि 1940में जब विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे,&nbsp;तब उनके लिए तमिलनाडु के त्रिची (तिरुचरापल्ली) से सिगार जाते थे। ये सिगार व्यवस्थित रूप से चर्चिल तक पहुंचते रहें, &nbsp;इसके लिए एक पद सृजित किया गया। मजेदार बात यह है कि 1945के बाद तो विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं रहे। फिर 1947में भारत आजाद हो गया, लेकिन सीसीए का यह पद बना रहा। दरअसल, इस घटना के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने व्यवस्था की उस सड़ांध को उजागर किया, जहां यथास्थिति बनाए रखने के चलते कई इसी तरह के आश्चर्यजनक और हास्यास्पद उदाहरण कायम हैं।</p>
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