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PM Modi के आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार, सैन्य शक्ति मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर

PM Modi के नेतृत्व में बदल रहा है देश

हिन्दुस्तान क़रीब सात दशकों से अधिक का सफर तय कर चुका है,कई लड़ाइयों को भारत ने अपने दृढ इरादों के बदौलत सामना भी किया है। बावजूद सैन्य उपकरण मामले में भारत पिछले कई सालों से दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन आज PM Modi  के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पणा जैसे साकार होते दिख रहा है। ये प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता ही थी जो आज भारत सैन्य उपकरण मामले में दुनिया के टॉप-4 देशों में अपना जगह बनाने में सफल रहा है।

PM Modi के नेतृत्व में देश नित नई इबारत लिख रहा है,आज हमारा देश हर क्षेत्र मे अपनी उपलब्धियों पर गर्व कर रहा है। रहन-सहन से लेकर रक्षा और सुरक्षा तक देश में कई तरह के बदलाव हुए, और उसी का परिणाम है कि आज हमारा देश सैन्य उपकरण मामले में भी आत्मनिर्भर बन रहा है।

रक्षा क्षेत्र में मजबूती से बढ़ रहे हैं ‘भारत’ के कदम

PM मोदी के नेतृत्व में हिन्दुस्तान आज महाशक्ति बनकर उभर रहा है। भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताक़तवर सेना है। भारत ने आजादी के बाद पिछले 75 सालों में कई उतार-चढ़ाव देखे और अनगिनत उपलब्धियां हासिल की। लेकिन मौजूदा वक्त में भारत कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर की दिशा में आगे निकल चुका है,और वैश्विक मंच पर अपनी अलग पहचान बनाई है।

PM Modi का 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का जो लक्ष्य था वो धीरे-धीरे ही सही पर बेहद मजबूती के साथ आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे मजबूत हो रही है, भारत रक्षा क्षेत्र के लिए जरूरी सामानों के आयात को कम कर रहा है और उसके लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत घरेलू बुनियादी ढांचे का निर्माण पर ज़ोर दे रहा है। आयात कम करने का ये मतलब नहीं है कि उन सामानों की देश को जरूरत नहीं है या उन सामानों का प्रयोग हमने बंद कर दिया है बल्कि उन सामानों को अब भारत अपने देश में ही बनाने पर फोकस कर रहा है।

भारत आज रक्षा के क्षेत्र में भी शानदार प्रगति की है। आज भारत में बने तेजस जैसे फाइटर जेट समेत कई लड़ाकू हथियार और उपकरण खरीदने में दुनिया के कई देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं। भारत के पास आज राफेल जैसे लड़ाकू विमान हैं। आज दुनिया भारत को परमाणु हथियार से संपन्न देश कहती है।

भारत में सन 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO की स्थापना की गई ,जिससे रक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कई काम आसान होते चले गए।इसके साथ ही इसकी स्थापना से स्वदेशी निर्माण पर को भी बल मिला। भारत ने सैन्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर दिया। इससे लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) सहित कई रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना की गई।

भारत की परमाणु क्षमता

1974 और 1998 में अपने परमाणु परीक्षणों के सफल संचालन के साथ रक्षा क्षेत्र में भारत की यात्रा को और गति मिली। इसने भारत को परमाणु-सशस्त्र देशों की लीग में खड़ा कर दिया, जिससे क्षेत्र में इसकी रणनीतिक स्थिति मजबूत हुई। इसके अतिरिक्त, अग्नि सीरीज, पृथ्वी और ब्रह्मोस जैसी भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास ने मिसाइल प्रणालियों में देश की शक्ति को प्रदर्शित किया।

मेक इन इंडिया पहल

घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ाने की आवश्यकता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने 2016 में रक्षा खरीद नीति पेश की। इस नीति ने आयात पर निर्भरता पर चिंताओं को संबोधित करते हुए स्वदेशी विनिर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग के महत्व पर जोर दिया। इसके बाद, रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू की गई।

दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना भारत के पास

ग्लोबल फायरपावर वेबसाइट जो वैश्विक रक्षा से जुड़ी जानकारी पर नजर रखनी है उसने दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं की सूची जारी की है। 2023 में जारी सैन्‍य ताकत के इस सूची में भारत दुनिया के चौथे स्थान पर है।यानी  भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है। हिन्दुस्तान के पास हजारों की संख्या में टैंक है वहीं सैकड़ों की संख्या में लड़ाकू विमानों के साथ-साथ मिसाइलों का भंडार है।

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