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जन्मदिन पर मां हीराबेन का आशीर्वाद लेने घर क्यों नहीं पहुंचे PM Modi?

PM Modi on His Birthday: शायद ही कोई ऐसा जन्मदिन रहा होगा जिस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां से मिलने न गए हों। अबतक तो हर बार अपने जन्मदिन के मौके पर वो मां से मिलने जाते थे और उनके पैर छू कर देश को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद थे। लेकिन, इस बार वो मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक फैसले के चलते मां से मिलने नहीं जा सके। आज का समय इतिहास में याद किया जाएगा कि भारत से विलुप्त हुए चीते एक बार फिर से जंगलों में विचरते दिखाई देंगे। देश में 70 वर्षों बाद मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की वापसी हुई है।

इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi on His Birthday) ने एक महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपनी मां हीराबेन मोदी को याद करते हुए कहा कि, इस मौके पर वो उनके आशीर्वाद लेते हैं। मोदी ने कहा “आमतौर पर इस दिन मैं अपनी मां से मिलने, उनके पैर छूने और उनका आशीर्वाद लेने की कोशिश करता हूं। लेकिन आज मैं नहीं जा सका… लेकिन मध्य प्रदेश में लाखों महिलाएं, माएं मुझे अपना आशीर्वाद दे रही हैं”। ये पीएम मोदी की ही सरकार है जब महिलाओं को देश में अपने हक मिलने शुरू हुए हैं। देश की तीनों सेनाओं से लेकर राजनीतिक तक यहां तक की हर एक क्षेत्र में महिलाएं अपना अहम योगदान दे रही हैं। ये भारत में एक बड़ा बदलाव है जो सदियों से नहीं हुआ था। पीएम मोदी (PM Modi on His Birthday) भी अपने संबोंधन में कहते हैं कि, पिछली सदी और इस सदी के बीच, देश में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में एक बड़ा बदलाव आया है। ग्राम निकायों से लेकर राष्ट्रपति भवन तक, देश में नारी शक्ति का शासन रहा है।

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भारत की धरती पर फिर से चीते लौट आए
चीतों को रिहा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि, मैं नामीबिया सरकार को धन्यवाद करता हूं। ये ऐतिहासिक क्षण हैं कि आज भारत की धरती पर चीते लौटे हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, अतीत हमें सुनहरे भविष्य का मौका देता है। दशकों पहले जैव-विविधता की पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं और मैं ये भी कहूंगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है।

दशकों से चीतों के पुनर्वास के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। ये बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से रिस्टोर होगा। उन्होंने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है। कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा।

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आईएन ब्यूरो

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