दुनिया भर में बिजली संकट गहराता जा रहा है। चीन से लेकर भारत तक कोयले की कमी से बिजली बनाने वाले संयंत्र बंद पड़े हुए हैं। चीन में तो कई कंपनियों में काम बंद पड़ा है। वहां बिजली की भारी कमी है। पश्चिम एशियाई देश लेबनान तो अंधेरे में डूब भी गया है। वहीं यूरोप में गैस के लिए उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। भारत के कई राज्यों में बिजली को लेकर हाय तौबा मचा हुआ है। इस वैश्विक ऊर्जा संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है और अब कई देशों के अंधेरे में डूबने का खतरा मंडराने लगा है।
भारत के आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, बिहार, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली का संकट गहराता जा रहा है। भारत में कोयले की कमी की वजह से बिजली का संकट गहराता जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के बाद अब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है और कल-कारखाने और कंपनियां फिर से खुलने लगे हैं। ऐसे में कोयले से बनने वाली बिजली की मांगों में इजाफा हो गया है। लेकिन बिजली बनाने के लिए कोयले की भारी कमी है। देश कोयला से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स में कहीं चार दिन का स्टॉक बचा है तो कहीं दो दिन का।
दिल्ली में बिजली का संकट गहराता जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को "बिजली संकट" को लेकर एक पत्र लिखा। केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा हूं। हम इससे बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।" इस बीच टाटा पावर के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने मुंद्रा में उत्पादन बंद कर दिया है क्योंकि मौजूदा पीपीए शर्तों के तहत आयातित कोयले की उच्च लागत आपूर्ति करना असंभव बना रही है।
भारत के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के थर्मल बिजली संयंत्रों में अब कुछ ही दिनों का कोयला बचा है। यूपी के कई पावर प्लांट को कोयले की कमी के कारण तो बंद कर दिया गया है। उधर, अमेरिका में शुक्रवार को एक गैलन गैसोलिन के लिए कीमत 3।25 डॉलर पहुंच गई जबकि अप्रैल में यही कीमत 1।27 प्रति गैलन थी। चीन, भारत, यूरोप में चल रहे संकट के बीच लेबनान में भी बिजली संकट गंभीर हो गया है।
लेबनान में ईंधन की कमी के कारण कई दिनों के लिए बिजली कटौती का ऐलान किया है। लेबनान में दो सबसे बड़े बिजली स्टेशनों ने काम करना बंद कर दिया है। इसके कारण पूरा लेबनान अंधेरे में डूब गया। ईंधन की कमी के कारण लेबनान के कई फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है। इस कारण खाने-पीने के सामान की भी कमी हो गई है।