रविवार को राज्यसभा के भीतर जिन सांसदों ने उत्पात मचाया था और पीठासीन उपसभापति का माइक तोड़ने का प्रयास किया था, उन्हीं उत्पादी सांसदों को आज सुबह चाय पिलाकर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने चित्त कर दिया।
असल में रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयक पारित होना था। लोकसभा में ये विधेयक पहले ही पास हो चुका था और रविवार को राज्यसभा में पारित होने के लिए लिस्ट किया गया था। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरु कर दिया जिसमें सबसे आगे तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रेन और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह थे।
सांसदों का एक समूह न सिर्फ वेल में आ गया बल्कि उसने उपसभापति का माइक तोड़ने का भी प्रयास किया। भारी हंगामे के बीच उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए रोक दिया और बाद में मार्शल की मदद लेकर कार्यवाही को संचाालित किया। इसी हंगामे के बीच ध्वनिमत से कृषि विधेयक को भी पारित कर दिया गया।
सोमवार को जब राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू आसन पर आये तो इसे लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताते हुए आठ सांसदों को निलंबित कर दिया। इन निलंबित सांसदों में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का नाम भी था। लेकिन इन सांसदों ने सोमवार को ही संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने अनशन शुरु कर दिया। पूरी रात ये सांसद वहीं रहे। लेकिन मंगलवार की सुबह स्वयं हरिवंश चाय लेकर उन सांसदों के पास पहुंच गये।
हरिवंश के इस उदारतापूर्ण कार्य पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि आइये हम सब श्री हरिवंश जी के साथ खड़े हों। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विट में लिखा है कि "हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए। लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई। यह हरिवंश जी की उदारता और महानता को दर्शाता है। लोकतंत्र के लिए इससे खूबसूरत संदेश और क्या हो सकता है। मैं उन्हें इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।"
उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू ने भी ट्वीट करके कहा है कि "हरिवंश जी की यह पहल हमारे उत्कृष्ट लोकतान्त्रिक संस्कारों को दिखाती है… उनकी पहल लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है!"
हालांकि राज्यसभा की कार्रवाई शुरु होने के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह कहते हुए संसद की कार्रवाही का बहिष्कार कर दिया कि जब तक निलंबित सांसदों की निलंबन वापस नहीं हो जाता पूरा विपक्ष राज्यसभा की कार्रवाही का बहिष्कार करेगा।
बहरहाल इस पूरे मामले में एक बात तो साफ हो गयी कि विपक्ष अपनी हताशा और निराशा को छिपाने के लिए संसद की कार्रवाही को किसी भी सूरत में चलने नहीं देना चाहता। अपनी ओछी हरकतों से वह संसद की गरिमा को भी नष्ट करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन जिस तरह से विपक्ष द्वारा किये गये सारे अपमान को भुलाकर हरिवंश सुबह सुबह चाय लेकर धरना दे रहे सांसदों के पास पहुंचे हैं, उससे न सिर्फ हरिवंश की उदारता प्रकट हुई है बल्कि यह भी स्पष्ट हुआ है कि गांधी की प्रतिमा के नीचे भले ही उत्पाती सांसद जाकर बैठ गये हों। लेकिन गांधीवादी उदारता उनके पास नहीं बल्कि उपसभापति हरिवंश के पास है।.
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