पाकिस्तान में मियां नवाज शरीफ ने चली आखिरी चाल?

“हमारा मुकाबला इमरान खान से नहीं है, मैंने चुनाव से पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूं, आज हमारी जद्दोजहद इमरान खान को लाने वालों के खिलाफ है, जिन्होंने इस तरह चुनाव-चोरी करके ऐसे नाकाबिल बंदे को बिठाया है और मुल्क को बर्बाद कर दिया है।” पाकिस्तान के अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लंदन से बड़े बाजवा पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, उनके करीबी छोटे बाजवा यानि ले. जनरल आसिम सलीम बाजवा और दूसरे पावरफुल जनरलों के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर दिया है। यह पहली घटना है जब किसी जनरल का नाम लेकर, भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है।

नवाज शरीफ का कहना है कि “2018 में लेफ्टीनेंट जनरल आसिम बाजवा सदर्न कमांड के कोर कंमाडर थे, उन्होंने बलूचिस्तान की सरकार गिरा दी थी, वही आसिम बाजवा जिन्होंने पिछले 15-20 सालों में अरबों रुपये कमाए हैं, उनके खानदान ने घोटाला किया है, मीडिया में चुप्पी है। ईमानदारी का दावा करने वाले इमरान खान ने एक पल में उनकी ईमानदारी का सर्टिफिकेट जारी कर दिया।”

पाकिस्तान में सबको पता है कि उनका देश अल्लाह, आर्मी और चीन के भरोसे है। लेकिन यह पहली बार हो रहा है कि देश के बड़े विपक्षी दल एकजुट होकर पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ लामबंद होने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि इमरान खान को कोसने से कुछ हासिल नहीं होगा, वो तो सिर्फ कठपुतली हैं। जरूरत है इमरान के पीछे की ताकत यानि आर्मी के खिलाफ मोर्चा खोलने की।

और नवाज शरीफ ने सीधा निशाना लगाया, “पाकिस्तान का बच्चा-बच्चा जानता है कि पिछले 73 सालों में पाकिस्तान की किसी भी चुनी गई सरकार को 5 साल काम करने नहीं दिया गया। डिक्टेटरों ने औसतन 9 साल गैर-कानूनी तौर से हूकूमत की लेकिन आवाम की चुनी सरकार को औसतन 2-3 साल भी पूरा नहीं करने दिया गया।”

बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद नवाज शरीफ ही ऐसे नेता बचे हैं, जिन्हें सही मायने में पाकिस्तान का राष्ट्रीय नेता कहा जा सकता है। दोनों ने कई बार आर्मी को दरकिनार करने की कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रहे और आखिर में बर्खास्त कर दिए गए। लेकिन तब भी दोनों पाकिस्तानी आर्मी के जनरलों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बोलने से बचते रहे थे।

1999 में जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पाकिस्तान आने का न्यौता दिया, तब पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ इस फैसले से खुश नहीं थे। यह जाहिर भी हुआ था, जब प्रोटोकॉल के खिलाफ वह वाघा बॉर्डर पर वाजपेयी की अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे। लाहौर में जब शरीफ और वाजपेयी लाहौर समझौते पर दस्तखत कर रहे थे, करगिल की चोटियों पर मुशर्रफ अपने सैनिक जमा कर रहे थे। इसके कुछ महीनों बाद करगिल की लड़ाई में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी।

लड़ाई की हार के कुछ महीनों बाद नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर मुशर्रफ पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। नवाज शरीफ पर कई मुकदमे चले और उन्हें मुशर्रफ की अदालत ने सजा-ए-मौत दे दी। भला हो सऊदी अरब का जिसने फांसी की सजा रुकवा दी और शरीफ को अपने यहां शरण दी। तानाशाह मुशर्रफ ने प्रजातंत्र का जामा पहनने की कोशिश की, तो पाकिस्तान की आवाम ने नकार दिया और अब सऊदी अरब में निर्वासित जीवन व्यतीत करने की बारी मुशर्रफ की थी।

मैंने अपने कई पाकिस्तानी पत्रकार दोस्तों से इस मुद्दे पर बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन सबके मुंह बंद, “देखिए, फौज या तो मार्शल लॉ लागू कर राज या करे या फिर किसी कठपुतली को जिता कर ..खुद उसके बस का नहीं है चुनाव लड़ना। वो तो बंदूक के बल पर लड़ना जानती है, बस।”

पाकिस्तानी आर्मी की मौजूदा कठपुतली सरकार नहीं चल पा रही है। इमरान खान और उनकी सरकार, पाकिस्तान के सबसे बुरे वक्त से जूझ रही है। एक तो महामारी, उस पर आर्थिक स्थिति बेहाल, मंहगाई चरम सीमा पर, डालर के मुकाबले रुपये की कीमत रसातल में है। हर रोज सरकार और फौज की भ्रष्टाचार की कहानियां सामने आ रही हैं, रोज खुलासे हो रहे हैं। जब मीडिया पर दबाव पर डाल कर चुप करा दिया गया, तब सोशल मीडिया काफी सक्रिय हो उठा है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानि सीपेक (CPEC) चेयरमैन और इमरान खान के विशेष सलाहकार छोटा बाजवा यानि ले. जनरल आसिम बाजवा की अरबों की धांधली की खबर एक नई बेवसाइट पर आई थी, जो आग की तरह फैल गई।

जिस सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी जनरलों ने विपक्षी पार्टियों को भ्रष्ट घोषित कर दिया था, आज खुद उसके जाल में फंस गए हैं। 2014 में नवाज शरीफ का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत आना और फिर उसके बाद मोदी का अचनाक लाहौर जा कर नवाज शरीफ से मिलना, जनरलों को काफी अखरा था। पाकिस्तानी आर्मी की प्रोपेगेंडा यूनिट (ISPR) ने नवाज शरीफ के खिलाफ अभियान छेड़ दिया गया था “मोदी का यार, पाकिस्तान का गद्दार” हैशटैग हर सोशल मिडिया पर काबिज था।

आज ले. जनरल बाजवा के खिलाफ हर दिन नए नए हैशटैग ट्रेंड हो रहे हैं। बड़े बाजवा यानि आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के कहने पर इमरान खान ने आनन-फानन में एक कानून भी बना दिया, जिसमें किसी जनरल के खिलाफ खबरें प्रकाशित करना संगीन अपराध है। पाकिस्तानी मीडिया और पत्रकार दहशत में हैं। कई पत्रकार गायब है तो कइयों को रोज धमकियां मिल रही हैं, कइयों ने अदलत का दरवाजा खटखटाया। लेकिन क्या करें, अदालतें भी तो आर्मी के काबू में हैं।

नवाज शरीफ ने तो पीपुल्स पार्टी और दूसरी विपक्षी पार्टियों के साथ मिल कर पाकिस्तानी जनरलों के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है, लेकिन वे खुद लंदन में हैं। अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है और इमरान खान का कहना है कि वो ब्रिटेन की सरकार से उन्हें वापस लाने की बात कर रहे हैं। खुद इमरान का मानना है कि नवाज शरीफ को इलाज के लिए देश छोड़ कर जाने देने की इजाजत देना भंयकर भूल थी। सूत्रों के मुताबिक इसका दोष वह अप्रत्यक्ष तौर से पाकिस्तानी आर्मी पर डाल रहे हैं कि कैसे जाने दिया, “मैं तो कभी नहीं जाने देता …नवाज शरीफ को इलाज के जाने देना बड़ी शर्म की बात थी..अब वो लंदन में पालिटक्स कर रहा है।” तिलमिलाए इमरान खान ने कहा कि वो तो भगोड़ा है..कौन विश्वास करेगा।

इमरान सरकार के मंत्री अली जैदी ने तो यहां तक कह दिया कि नवाज शरीफ तो पाकिस्तान का दुश्मन है, “वो कह रह रहे हैं कि उनकी लड़ाई जिसने इमरान को कुर्सी पर बिठाया है, उसके खिलाफ है। यानि वो पाकिस्तान की जनता को खिलाफ लड़ने की धमकी दे रहे हैं।”

लेकिन पाकिस्तान के सूत्रों के मुताबिक बड़े बाजवा यानि पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा चिंतित हैं। सभी विपक्ष दल एकजुट होकर इमरान खान की सरकार और पाकिस्तानी जनरलों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। जहां तक इमरान और उनकी सरकार के विरोध की बात है, चीफ को कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जब उनके जनरलों का नाम भ्रष्टाचार से जुड़े और आम जनता के बीच उछले तो जाहिर है परेशान होना स्वाभाविक है। क्योंकि अब तक पाकिस्तानी जनता आर्मी को ईमानदार समझती रही है।

आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की दूसरी परेशानी है, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपेक (CPEC)। जिसके चेयरमैन हैं छोटे बाजवा यानि ले. जनरल आसिम सलीम बाजवा। जिनका नाम लेकर नवाज शरीफ ने सीपेक में हो रही धांधली का बार-बार जिक्र किया। चीन भी सीपेक की धीमी रफ्तार से खुश नहीं है और इसीलिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर नेता नोंग रोंग को नया राजदूत नियुक्त किया है। जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड के काम से अच्छी तरह वाकिफ हैं।

सूत्रों की मानें तो नवाज शरीफ के चीन से अच्छे संबध रहे हैं और उन्होंने रविवार को अपने भाषण में इसका जिक्र भी किया। चीन की नजर में इमरान खान की कोई अहमियत नहीं है। ऐसे में वो बड़े बाजवा के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया में नवाज शरीफ के भाषण की खबर तो छपी लेकिन ले. जनरल बाजवा का कोई जिक्र नहीं था। लेकिन सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी बाजवा का मजाक उड़ा रहे थे और बातें हो रही थीं मिया नवाज शरीफ की वापसी की।

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डॉ. शफी अयूब खान

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