लद्दाख सीमा विवाद सुलझाने के लिये भारत-चीन के बीच 14 घंटों तक मैराथन चर्चा

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद सुलझाने के लिए मोल्डो में 14 घंटे लंबी कूटनीतिक-सैन्य वार्ता की। दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता, विचार-विमर्श का विवरण अभी तक जारी नहीं किया गया है। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि थे। वार्ता सोमवार सुबह 9 बजे शुरू हुई और रात 11 बजे समाप्त हुई।

यह पहली बार था कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल में दो लेफ्टिनेंट जनरल, दो मेजर जनरल और विदेश मंत्रालय (एमईए) के एक संयुक्त सचिव शामिल थे। लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में दिल्ली में सेना मुख्यालय से लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन थे। मेनन नवंबर में लेह स्थित 14 कोर के कमांडर का पद भार संभालेंगे।

संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव (पूर्वी एशिया) की उपस्थिति यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि चीन के साथ वार्ता दोनों देशों के बीच पांच-बिंदु रोडमैप पर बनी सहमति के अनुसार हो, जिसमें सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएससी) से फौरन पीछे हटाना भी शामिल है।

10 सितंबर को रूस के मॉस्को में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच वार्ता के दौरान दोनों देश पांच-सूत्रीय रोडमैप पर सहमत हुए थे।

प्रतिनिधिमंडल में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के इंस्पेक्टर जनरल दीपम सेठ और चार ब्रिगेडियर भी थे। यह कोर कमांडर स्तर की चर्चा का छठा दौर था। अगस्त में कोर कमांडर स्तर की चर्चा के पांचवें दौर के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने गतिरोध में सबसे बड़े फ्लैश पॉइंट पैंगोंग झील में मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श किया था।

यह 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन थे, जो पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव को कम करने के लिए बैठक कर रहे थे पहली बैठक 6 जून को हुई थी।

इसके बाद हालांकि, 15 जून को गालवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर एक बर्बर हमला किया गया था, जिसमें चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे जबकि अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे।

पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे में सेनाएं फिंगर 3 और फिंगर 4 के बीच आमने-सामने हैं, जहां दोनों देशों की सेनाओं द्वारा पिछले दिनों हवा में चेतावनी शॉट फायर किए गए। झील के दक्षिणी किनारे पर सेना स्पंगुर गैप, मुखपारी और रेयांग ला में कुछ मीटर की दूरी पर हैं।

चीन ने सबसे पहले भड़काऊ सैन्य कदम उठाए और उसके बाद भारत ने भी इन स्थानों पर सैनिकों की तैनाती की। इन दोनों स्थानों पर दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को डराने के लिए चेतावनी के शॉट फायर किए थे।

पीएलए के सैनिकों ने इस महीने की शुरुआत में फिंगर 3 और 4 के बीच के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके कारण हवा में लगभग 200 शॉटफायर हुए। इसके बाद, दोनों सेनाएं कुछ सौ मीटर की दूरी पर हैं।

भारत फिंगर 8 पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दावा करता है और फिंगर 4 तक क्षेत्र में रहा है, लेकिन यथास्थिति के एक स्पष्ट परिवर्तन में चीनी फिंगर 4 पर कैम्प लगा रहे हैं और फिंगर 5 और 8 के बीच किलेबंदी की है।.

डॉ. शफी अयूब खान

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