मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंद्रेश कुमार प्रायः धीरे से कुछ कहते हैं लेकिन उसकी गूंज बहुत दूर तक जाती है। इंद्रेश कुमार 14 अप्रैल को एवान-ए-गालिब में कहा कि बाबा साहेब को अंबेडकर उपनाम उनके शिक्षक से मिला, जो ब्राह्मण थे। इस शिक्षक का नाम केशव कृष्ण अम्बेडकर था। इंद्रेश कुमार के इस बयान से बहुतों को दुख पहुंचा होगा कि अगर सुभाष चंद्र बोसजीवित रहते तो देश का बंटवारा नहीं होता और विस्थापित होकर पाकिस्तान गए लाखों लोगों को अब भी मुहाजिर के रूप में नहीं जीना पड़ता। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के कारण ये बंटवारा हुआ और शैतानी मुल्क के रूप में पाकिस्तान का उदय हुआ। जहां बलूचिस्तान के साथ सिंधी व पख्तून के साथ एक बड़ी आबादी दर्दनाक जिंदगी जी रही है। इंद्रेश कुमार ने कहा है कि योग की उत्पत्ति भारत में हुई और यह दुनिया के हर कोने में यह फैला, चाहे वहां की सभ्यता, भाषा और धर्म कोई सी भी रही हो।
मां रूह को अपने पेट में लेकर उसे शरीर की शक्ल देती है, और फिर मरने के बाद रूह वहीं चली जाती है जहां से आई लेकिन शरीर को धरती मां फिर अपने भीतर स्थान देती है। इसलिए मां और मादर-ए-वतन का स्थान सबसे ऊपर है। @asadowaisi @Shafiurremanbark @mehdirhasan pic.twitter.com/sGBZXesAtX
— इंडिया नैरेटिव (@NarrativeHindi) April 14, 2022
इंद्रेश कुमार नई दिल्ली के ऐवान-ए-गालिब में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच व सैटरडे क्लब आफ लिटरेचर के रोजा इफ्तार से पहले सभागार में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम डॉ बी आर आंबेडकर: संविधान और सामाजिक एकता विषय पर किया गया था। भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार बाबा साहब अंबेडकर की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। बाबा साहेब के जीवन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह जानकारी भी बहुत ही कम लोगों को है कि बाबा साहेब को अंबेडकर उपनाम उनके शिक्षक से मिला, जो ब्राह्मण थे। इसी तरह उन्होंने जब सनातनी धर्म छोड़ने को कहा तो मुस्लिम और ईसाइयों ने बहुत कोशिश की अपने धर्म में लाने को, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि बाहर के धर्म हमारी पहचान खा जाते हैं। यहां तक की नाम भी खा जाते हैं। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
इस मौके पर इंद्रेश कुमार ने दो टूक कहा कि जो मां और मातृभूमि का नहीं हुआ। वह किसी का नहीं हुआ। इसी मातृभूमि से हम एक-दूसरे के साथ रहते हैं। उन्होंने समाज से ऐसे मुस्लिम क्रांतिकारियों और बलिदानियों का नाम आगे लाकर प्रचारित करने का आग्रह किया जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान किया। उन्होंने कहा कि यह बड़े अफसोस की बात है कि अधिकांश मुस्लिम समाज की जुबान पर ऐसे चंद नाम ही है, जबकि उनकी संख्या कहीं अधिक है।कार्यक्रम के आयोजकों ने सद्भाव और शांति का संदेश देने के लिए रमजान के पवित्र महीने को सद्भावना के महीने के रूप में मनाने के एमआरएम के फैसले के तहत इफ्तार की मेजबानी की। इंद्रेश कुमार ने लोगों को देशभक्ति और भाईचारे का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि लोग बांटने की कोशिश करेंगे। लड़वाने की कोशिश करेंगे, लेकिन हमें जोड़ने की कोशिश करना है।