आज एक बार फिर यह साबित हो गया है कि जो 'गांधी-नेहरू' खानदान के तलुवे नहीं चाटेगा तो वो हाशिए पर फेंक दिया जाएगा। फिर चाहे वो गुलाम नबी आजाद हों या फिर मल्लिकार्जुन खड़गे जैसा नेता। एक अदद पूर्णकालिक अध्यक्ष न चुन पाने वाली कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संगठन में ऐसा फेरबदल किया जिससे बड़े-बड़े कांग्रेसी हिल गये। सोनिया गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों से लेकर राज्यों के प्रभारियों तक को बदल दिया गया है। अगर नहीं बदला गया है तो प्रियंका गांधी का प्रभार नहीं बदला गया है। वो उत्तर प्रदेश के प्रभारी सचिव बनी रहेंगी। इसके अलावा जिन नेताओं का प्रभाव और अधिक बढ़ा है उनमें अहमद पटेल, एके एंटोनी और केसी वेणुगोपाल जैसे नेता हैं।
बहरहाल, सोनिया गांधी ने कांग्रेस के कथित नये अध्यक्ष के चुनाव के लिए मधूसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी का ऐलान भी कर दिया। इतना ही नहीं, चिठ्ठी में अध्यक्ष के कामकाज में मदद करने के लिए जिस सिस्टम की मांग की गई थी। सोनिया गांधी ने उस स्पेशल कमिटी का भी गठन किया है।, इस कमेटी में गांधी-नेहरू खानदान के 'फेवरेट' अहमद पटेल, एके एंटनी, मुकुल वासिनक, के सी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला को रखा गया है।
शुक्रवार को हुए बदलाव ने राहुल गांधी के कमान लेने की संभावना को पुख्ता किया है।  ये तमाम बदलाव राहुल गांधी को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। सोनिया गांधी अपने अमेरिका दौरे से पहले संगठन में बदलाव कर दिया है।करना चाहती थीं। वो अपनी इलाज के सिलसिले में अमेरिका जाने वाली हैं।
कांग्रसे के ताजा बदलाव में जहां गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, लुजिन्हो फलेरो से संगठन महासचिव की जिम्मेदारी ले ली गई, वहीं दूसरी ओर आशा कुमारी, अनुग्रह नारायण सिंह, आशा कुमारी, गौरव गोगोई और रामचंद खूंटिया से भी प्रदेश प्रभार वापस ले लिया गया। वोरा जैसे सीनियर और परिवार के भरोसेमंद व्यक्ति से संगठन के प्रशासन की जिम्मेदारी लेकर यह जिम्मेदारी पवन कुमार बंसल को दी गई।
कांग्रेस ने बदलाव करते हुए नौ महासचिव और 17 प्रभारी रखे हैं। इनमें जहां कुछ लोगों की जिम्मेदारी नहीं बदली, वहीं कुछ पुरानों को हटाकर नयों का लाया गया जबकि कुछ के प्रभार बदल दिए गए। महासचिवों में मुकुल वासनिक, हरीश रावत, ओमन चांडी, प्रियंका गांधी, तारिक अनवर, रणदीप सुरजेवाला, जीतेंद्र सिंह, अजय माकन और केसी वेणुगोपाल हैं। हरीश रावत से असम की जिम्मेदारी लेकर पंजाब दे दिया गया जबकि वासनिक से तमिलनाडु और पुद्दुचेरी जैसे प्रभार लेकर उन्हें मध्य प्रदेश दिया गया। अभी तक वह अतिरिक्त प्रभार देख रहे थे। तारिक अनवर और सुरजेवाला को वफादारी का इनाम दिया गया है। उन्हें जिन्हें केरल – लक्षद्वीप एवं कर्नाटक जैसे अहम राज्य दिए गए।.
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