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पिछले वर्ष से इस बार खरीफ में 59 लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में बुवाई

पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1045.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस बार 1104.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के साथ रिकॉर्ड प्रगति दर्ज की गई है। धान (चावल) की बुवाई अब भी जारी है, जबकि दलहन,मोटे अनाज और तिलहन की बुवाई लगभग हो चुकी है। खरीफ सीजन के लिए बुवाई के अंतिम आंकड़े 1 अक्टूबर 2020 को आने की उम्मीद है।

धान की बुवाई पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 373.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस बार 402.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है अर्थात बुवाई क्षेत्र में 7.59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष के 131.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के मुकाबले इस बार 137.87 लाखहेक्टेयर क्षेत्र में दलहन की खेती हुई है, अर्थात 4.64 प्रतिशथ की वृद्धि हुई।

पिछले वर्ष के 177.43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस बार 179.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाज की खेती हुई अर्थात1.28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल के 176.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस बार 195.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तिलहन की बुवाई हुई अर्थाततिलहन बुवाई क्षेत्र में 10.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

पिछले साल के 51.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस बार52.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की बुवाई हुई यानी बुवाई क्षेत्र में 1.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले वर्ष के 126.61 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इ, बार 129.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती की गई अर्थात कपास बुवाई क्षेत्र में 2.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि पिछले साल के 6.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस बार 6.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जूट और मेस्टा की बुवाई की गई है यानी 1.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

कोविड-19 महामारी का खरीफ फसलों के अंतर्गत बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी पर आज तक कोई प्रभाव नहीं है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और राज्य सरकारों ने मिशन कार्यक्रमों और फ्लैगशिप योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए सभी प्रयास किए हैं। भारत सरकार द्वारा समय पर बीज,कीटनाशक,उर्वरक,मशीनरी और ऋण जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की वजह से कोविड-19 महामारी की लॉकडाउन स्थितियों में भी बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी संभव हो पाया है। इसके लिए समय पर खेती के काम करने, प्रौद्योगिकियों को अपनाने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को भी श्रेय जाता है।.

डॉ. शफी अयूब खान

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