Success Story: स्मिता और अमिता दो बहनें। दोनों एक ही दोनों एक ही पेशे में। पेशा भी ऐसा-वैसा नहीं, देश सेवा के उत्कृष्ट उपलक्ष्य का। दोनों बहनें मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (MNS) में हैं। स्मिता देवरानी मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) हैं। वहीं, अमिता देवरानी महाराष्ट्र के पुणे स्थित सेना के दक्षिणी कमान के मुख्यालय में तैनात हैं। वो मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में ब्रिगेडियर हैं। लेकिन दोनों बहनों के इस परिचय में एक और अध्याय जुड़ गया है। अब दोनों बहनें फ्लोरेंस नाइटिंगल अवॉर्ड से सम्मानित हुई हैं। दोनों बहने उत्तराखंड के कोटद्वार की हैं।
स्मिता देवरानी को वर्ष 2022 जबकि अमिता देवरानी को वर्ष 2023 का फ्लोरेंस नाइटिंगल अवॉर्ड दिया गया है। दोनों ने करीब चार दशक तक नर्सिंग के जरिए देश सेवा की है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज ब्रिगेडियर अमिता देवरानी को एक समारोह में यह पुरस्कार दिया। फ्लोरेंस नाइटिंगल अवॉर्ड देने की शुरुआत भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 1973 में की थी। यह अवॉर्ड नर्सों और नर्सिंग सर्विस से जुड़े प्रफेशनल्स को समाज में उनके योगदान के लिए दिया जाता है।
सरकार ने बताया कि मेजर जनरल स्मिता देवरानी वर्ष 1983 में मिलिस्ट्री नर्सिंग सर्विस से जुड़ी थीं। वो 1 अक्टूबर, 2021 को एमएनएस एडीजी का दायित्व संभालने से पहले आर्मी हॉस्पिटल की प्रिंसिपल मैट्रन, सेंट्रल कमांड हेडक्वॉर्टर्स की एमएनएस ब्रिगेडियर, कमांड हॉस्पिटल की प्रिंसिपल मैट्रन और एमएनएस की डायरेक्टर रह चुकी हैं। जनरल देवरानी ने 2006-2007 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन में अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान हताहतों की संख्या के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जहां उन्होंने मुख्य मैट्रन के रूप में कार्य किया था। ये स्वेच्छा से उस टीम का हिस्सा बनीं जिसने कांगो में माउंट न्यारागोंगो पर चढ़ाई की थी जो 3,470 मीटर की ऊंचाई पर एक सक्रिय स्ट्रैट ज्वालामुखी है।
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वहीं, उनकी बहन ब्रिगेडियर अमिता देवरानी वर्ष 1986 में मिलिट्री नर्सिंग सर्विस से जुड़ीं। वो अपने मौजूदा पद पर 1 अक्टूबर, 2021 से हैं। उससे पहले वो अलग-अलग नर्सिंग कॉलेजों की प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल की भूमिका निभा चुकी हैं। सम्मान समारोह में ब्रिगेडियर अमिता देवरानी के बारे में कहा गया, ‘आप सेना, नौसेना और वायुसेना के 50 अस्पतालों की निगरानी कर रही हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान आपका काम सराहनीय था। यूएन मिशन के तहत कांगो में हताहतों की निकासी और प्रबंधन के लिए यूएन ने भी आपकी सराहना की है।