Jammu Kashmir Target Killing: पाकिस्तान का एक ही काम है वो है आतंकवादियों के जरिए दहशत फैलाना। नये साल के मौके पर पाकिस्तान ने एक बार फिर से कायराना हरत की है। कश्मीर घाटी में दहशत फैलाने के लिए पीओके के मुजफ्फराबाद से आतंकी संगठनों को निर्देश मिल रहे हैं। ये निर्देश घाटी के चार अलग-अलग संगठनों को माहौल खराब करने के लिए दिये जा रहे हैं। नये साल के पहले दिन हुए टारगेट आतंकी किलिंग और टारगेटेड अटैक (Jammu Kashmir Target Killing) के लिए लश्कर-ए-तैयबा के द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने घटना की जिम्मेदारी ली है। नये साल के मौके पर जम्मू-कश्मीर के राजौरी स्थित अपर डांगरी इलाके में आतंकियों ने चार कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया। साथ ही 6 लोग हमले में घायल भी हो गये हैं। पाकिस्तान का हाल इस वक्त बेहाल है, दाने-दाने के लिए मोहाल है। जिन आतंकियों को उसने दूध पिलाया आज वही उसके लिए सांप बन गये हैं। आए दिन पाकिस्तान में आतंकी हमले हो रहे हैं। लेकिन, अपने मुल्क को बेहतर करने के बजाय वो जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के निशाने पर कश्मीरी हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक हैं। 90 के दशक में शुरु हुआ ये टारगेट किलिंग (Jammu Kashmir Target Killing) अब एक बार फिर से घाटी में दहशत फैलाने लगा है। इधर बीच गैर कश्मीरी और कश्मीरी पंडितों को चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। पिछले कुछ समय से कश्मीर में बाहर से आए काम करने वाले मजदूरों को निशाना बनाया गया। अब जब इसपर अंकुश लगा तो घात लगाकर बैठे आतंकियों ने एक बार फिर से चार कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दहशत का माहौल फैला दिया है।
घाटी में फिर टारगेट किलिंग
आगे बढ़ने से पहले ये बता दें कि, जब आतंकियों ने घटना को अंजाम दिया तो वहां पर मौजूद चश्मदीदों ने कहा कि, दोनों हथियारबंद आतंकियों ने अपर डांगरी इलाके में मंदिर के पास 3 अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों को निशाना बनाया। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पहले कथित तौर पर कश्मीरी पंडितों के आधार कार्ड देखे थे। इसके बाद प्रीतम शर्मा, आशीष कुमार, दीपक कुमार और शीतल कुमार पर गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी। कश्मीरी पंडितों की ये हत्या टारगेट किलिंग के तौर पर अंजाम दी गई है। कश्मीरी पंडितों की इस टारगेट किलिंग ने 2003 के नदीमर्ग नरसंहार की याद एक बार फिर से ताजा कर दी है।
2022 में 29 से अधिक लोगों की हुई हत्या
पिछले साल जनवरी 2022 से लेकर दिसंबर तक में आतंकियों ने 29 से अधिक लोगों की हत्या की। मारे गए लोगों में कश्मीरी पंडित से लेकर सुरक्षा बल और प्रवासी मजदूर शामिल हैं। पिछले 5 सालों (2017 से लेकर 2022 तक) में 28 प्रवासी मजदूरों की हत्या हुई।
90 के दशक में शुरू हुई थी टारगेट किलिंग- 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा कर मार दी थी गोली
जम्मू-काश्मीर में 90 के दशक से टारगेट किलिंग शुरू हुई । आतंकियों का एक ही मकसद था घाटी से कश्मीरी पंडितों को उखाड़ फेंकना। 90 के दशक के ही दौरान नदीमर्ग नरसंहार के बारे में सोच कर लोगों की रूहें कांप जाती हैं। इस नरसंहार में आतंकियों ने 2 साल तक के बच्चे को भी नहीं छोड़ा। इस दौरान कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की घटनाओं ने बड़ी संख्या में कश्मीर घाटी से हिंदुओं को पलायन पर मजबूर कर दिया था। कई इलाकों से कश्मीरी पंडितों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। 23 मार्च 2003 में नदीमर्ग में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ शायद उसे लोग कभी नहीं भुल पाएंगे। इस दिन आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी थी। इस नरसंहार में 11 पुरुष, 11 महिलाएँ और 2 बच्चों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस दौरान नदीमर्ग में करीब 50 कश्मीरी पंडित रह रहे थे, लेकिन आतंकियों के आने की खबर मिलते ही कई लोग वहां से जान बचाकर भाग निकले लेकिन, जो लोग नहीं भाग सके उनकी आतंकियों ने हत्या कर दी।
2 साल के बच्चे तक को आतंकियों ने मार दी थी गोली
घटना के बारे में कहा जाता है कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों का नाम लेकर उन्हें घर से निकाला और फिर एक साथ सबको गोली मार दी। आतंकी इस दौरान सेना की वर्दी पहन कर आए थे। ताकि कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप भारतीय सेना पर लगे और इससे माहौल बने कि भारतीय सेना ही कश्मीरी पंडितों का नरसंहार करती है और इल्जाम आतंकियों पर लगा देती है। इस घटना को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने कई दिनों तक वहां की रेकी कर कश्मीरी पंडितों की जानकारी इकट्ठा की और फिर सेना की वर्दी का सहारा लेकर हिंदुओं को वहां से निकालने का भरोसा दिलाया था। आतंकियों ने वहां से कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से खींचकर बाहर निकाला और सबको एक लाइन में खड़ा कर उन्हें गोलियों से भून दिया। यहां तक कि, ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बाद भी एक बच्चा बच गया था, वो रो रहा था, तो आतंकियों ने उसे चुप कराने के लिए उसके सिर में गोली मार दी।
सरकार की योजनाओं से परेशान आतंकी संगठन
दरअसल, केंद्र सरकार की जो योजनाएं घाटी में अमन शांति के लिए चलाई जा रही हैं उससे घाटी के चरपंथी और आतंकी संगठन परेशान हैं। घाटी के लोग अब जागरूक हो रहे हैं। आतंकियों का साथ छोड़ लोग अब शिक्षा और रोजगार की ओर ध्यान दे रहे हैं। हर एक क्षेत्रों में अच्छा कर रहे हैं। ये आतंकियों से देखा नहीं जा रहा है। साथ ही कश्मीरी पंडित और दूसरे अल्पसंख्यक लोग अपने दस्तावेजों को जमा करके जमीनों को वापस पाने का दावा पेश कर रहे हैं वह घाटी के चरमपंथियों को पसंद नहीं आ रहा है। साथ ही कोर्ट ने भी एक्शन लेना शुरू कर दिया है, जिन कश्मीर पंडितों औऱ अल्पसंख्यकों की जमीनें हड़पी गई उन्हें वापस देने की तैयारी कर रही है। यही कारण है कि, अब आतंकियों से ये सब होता देखा नहीं जा रहा है, जिसके चलते वो बौखलाए हुए हैं।
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