हर साल विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)अपने नागपुर स्थित मुख्यालय (RSS headquarters Nagpur) पर कार्यक्रम का आयोजन करता है। ऐसे में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जो हमेशा ये आरोप लगाते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के कार्यक्रमों में महिलाओं को कोई जगह नहीं दी जाती। इस बार ऐसे सभी आरोपों पर आरएसएस ने तगड़ा जवाब दे दिया है। अपने 92 साल के इतिहास में पहली बार आरएसएस ने अपने महत्वपूर्ण विजयदशमी कार्यक्रम के मौके पर मंच पर मशहूर पर्वतारोही संतोष यादव को चीफ गेस्ट बनाया गया।
संतोष यादव मंच पर सरसंघ चालक मोहन भागवत और अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठीं। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया। इस तरह आरएसएस ने अपना एक नया इतिहास भी आज लिख दिया है। इसी के साथ उन्होंने विपक्षियों की जुबान पर ताला लगा दिया।
पद्मश्री से सम्मानित संतोष यादव ने मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के साथ संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि लोग मुझसे पूछते थे कि क्या तुम संघी हो? यह मेरे व्यवहार के कारण था। तब मुझे नहीं पता था कि संघ क्या है। यह मेरी तकदीर है कि मैं आज यहां आपके साथ हूं। संतोष यादव ने कहा कि हमारा सनातन धर्म और संस्कृति हमें सभी पंचतत्वों (5 तत्वों) का संतुलन बनाना सिखाती है।हमें स्वस्थ रहने की आवश्यकता है।
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संघ पूरे विश्व कल्याण के लिए काम कर रहा
पहली बार आरएसएस चीफ गेस्ट बनीं संतोष यादव ने कहा कि संघ के स्वयं सेवक पूरी दुनिया के हित के लिए काम कर रहे हैं। मेरी इच्छा है कि आपका काम बढ़े। सर संघ संचालक मोहन भागवत ने कहा कि कार्यक्रमों में अतिथि के नाते समाज की महिलाओं की उपस्थिति की परम्परा पुरानी है। व्यक्ति निर्माण की शाखा पद्धति पुरुष व महिला के लिए संघ तथा समिति पृथक् चलती है। बाकी सभी कार्यों में महिला पुरुष साथ में मिलकर ही कार्य संपन्न करते हैं।
2 बार एवरेस्ट फतह कर चुकीं हैं संतोष यादव
एक नहीं दो-दो बार माउंट एवरेस्ट को अपने कदमों से नापने वालीं पर्वतारोही संतोष यादव हरियाणा में रेवाड़ी जिले के गांव जोनियावास में रहती हैं। 54 वर्षीया पर्वतारोही दो बार माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) फतह कर चुकी हैं, उन्होंने साल 1992 में पहली बार और फिर 1993 में दूसरी बार माउंट एवरेस्ट फतह किया। यानी की लगातार दो साल में दो बार एवरेस्ट चोटी में तिरंगा लहराया। संतोष यादव को 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।