पुतिन की दिल्ली यात्रा से चीन क्यों है बेचैन, अमेरिका ने ड्रैगन के पर कतरने के लिए PM Modi को दी खास इम्पोर्टेंस!

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगले महीने होने जा रही भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंध और भी मजबूत होंगे। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति पुतिन के बीच कई अहम मुद्दाओं पर चर्चा होगी, जिसमें रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने से लेकर दोनों देशों के बीच व्यापार को भी बढ़ावा देना शामिल है। यह भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'मेक इन इंडिया' का जो अभियान चलाया है, पुतिन की यात्रा से उसमें भी पंख लगेंगे। इसके साथ ही चीन अभी से इस यात्रा को लेकर टेंशन में क्योंकि, भारत के संबंध जहां रूस से पहले से ही मजबूत हैं तो वहीं, इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीतियों के चलते अमेरिका से भी संबंधों की डोर मजबूत होते जा रही है और ये तीनों देश इस वक्त चीन के लिए सबसे बड़े टेंशन बनते जा रहे हैं।</p>
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<a href="https://hindi.indianarrative.com/india-news/manabendra-nath-roy-had-drafted-the-first-constitution-before-br-ambedkar-but-mahatma-gandhi-rejected-it-34398.html"><strong>यह भी पढ़ें- कौन थे वो जिन्होंने तैयार किया था आजाद भारत के संविधान का पहला ड्रॉफ्ट और गांधी जी ने क्यों कर दिया खारिज</strong></a></p>
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राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए अंतर्विरोधों का प्रबंधन करना ही मोदी सरकार के विदेश नीति की प्रमुख विशेषता रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगले महीने होने जा रही भारत यात्रा इसका जीता-जागता उदाहरण है। हाल के वर्षों में भारत के चीन से बिगड़ते संबंध और अमेरिका से बढ़ती नजदीकी को देखते हुए इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है। राष्ट्रपति पुतिन की इस यात्रा से उन कयासों पर भी विराम लगेगा, जिसमें कहा जा रहा था कि भारत अमेरिका की बढ़ती निकटता, क्वाड की सदस्यता, चीन के साथ बढ़ते तनाव आदि के कारण भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंध शिथिल हो गए हैं।</p>
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कोरोना काल में हो रही इस यात्रा के महत्‍व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस साल यह पुतिन की दूसरी विदेशी यात्रा होगी। वह भी तब जब पूरा साल खत्‍म होने की कगार पर है। वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'मेक इन इंडिया' का जो अभियान चलाया है, पुतिन की यात्रा से उसमें भी पंख लगेंगे। भारत ने अमेरिका, चीन और रूस के साथ एक पृथक नीति (de-hyphenated policy) अपनाई है। भारत ने यह दिखाया है कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ अपने परखे हुए साझीदार रूस से भी कूटनीतिक सम्बन्धों को मजबूत करने के लिए तैयार है।</p>
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<strong>भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हो रहे</strong></p>
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क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति, रक्षा सहयोग, सुरक्षा मुद्दों पर एक साथ काम करने, आतंकवाद का मुकाबला और ऊर्जा जैसे कई क्षेत्र हैं, जहां दोनों देश एक साथ कार्य करने के लिए तैयार हैं। इसको देखते हुए दिसंबर का पहला सप्ताह बहुत महत्वपूर्ण है, जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन नई दिल्ली में होंगे। पिछले एक साल में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण घटनाओं, यात्राओं और बैठकों के बाद पुतिन की यात्रा इस बात की पुष्टि करती है कि भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हो रहे हैं। शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच पहले 2+2 वार्ता होगी। यह दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण उन्नयन का गवाह बनेगा।</p>
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अब तक भारत ने अपने तीन क्वाड पार्टनर देशों-ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ 2+2 डायलॉग फॉर्मेट की शुरुआत की है। शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की रूस से आपूर्ति शुरू हो चुकी है। यह लंबी दूरी तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाने की हमारी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देगा। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए 2018 में 5 एस-400 बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए अनुबंध किया था। अमेरिका इस अनुबंध पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध लागू करना चाहता था लेकिन मोदी सरकार ने वर्तमान अमेरिकी प्रशासन को अपनी सुरक्षा चिंताओं से वाकिफ करवाकर इस मुद्दे को काफी हद तक सुलझा लिया है। चीन के पास यह रक्षा प्रणाली पहले से ही मौजूद है और उसने तिब्बत में तैनात किया है। इससे भारत को बड़ा खतरा है।</p>
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<strong>अफगानिस्तान पर रूस ने भारत में आयोजित वार्ता में भाग लिया</strong></p>
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रूस के साथ शिखर सम्मेलन, दोनों देशों के स्थायी संबंधों के कारण और महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि हाल ही में मास्को क्षेत्रीय मुद्दों, खासकर तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत के बजाय चीन का साथ देते हुए दिखा। अफगानिस्तान मसले पर रूस ने हाल ही में न केवल भारत और पाकिस्तान की ओर से आयोजित सुरक्षा वार्ता में भी भाग लिया था, बल्कि चीन ने अपने सहयोगी पाकिस्तान को महत्व देने के लिए भारत की ओर से आयोजित बैठक में हिस्‍सा नहीं लिया। केवल पड़ोसी देश ही नहीं समस्त वैश्विक समुदाय अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अनियंत्रित क्षेत्र जो इस्लामिक आतंकियों का गढ़ रहा है, से पैदा होने वाले खतरे को अनदेखी नहीं कर सकता है। यह खतरा इतना गंभीर है कि इसके चलते पांच मध्य एशियाई देशों तथा रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने दिल्ली में बैठक में भाग लिया।</p>
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<strong>पुतिन की यात्रा से यूपी के विकास का साफ होगा रास्‍ता</strong></p>
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इसके बाद जारी की गई घोषणाओं में इन देशों के विचारों की एकरूपता को रेखांकित किया गया था। इसमें यह सुनिश्चित किया गया था कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग पड़ोसी देशों और उसके बाहर आतंकवादी हमलों के लिए नहीं किया जाए। अफगानिस्‍तान में एक समावेशी सरकार बने, जिसमें अल्पसंख्यकों, महिलाओं आदि के अधिकारों का सम्मान हो। इन मुद्दों के साथ ही पुतिन की भारत यात्रा के दौरान निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी। 2021 में भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार 8.1 अरब डॉलर तक पहुंचा है, जिसे और भी बढ़ाने पर विचार होगा। रूस 'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा भागीदार है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना में नेक्स्ट जनरेशन ब्रह्मोस और अन्य मिसाइलों का निर्माण आधुनिक प्रोडक्शन फैसेलिटी में किया जाएगा।</p>
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यही नहीं 4 प्रॉजेक्ट, 1135.6 फ्रिगेट का निर्माण और सह-उत्पादन, 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण के माध्यम से दुनिया की सबसे उन्नत असॉल्ट राइफल एके-203 का भारत में निर्माण, एसयू-30 एमकेआई और मिग-29 एस लड़ाकू विमानों की अतिरिक्त आपूर्ति, गोला बारूद और वीएसएचओआरएडी प्रणाली की अतिरिक्त आपूर्ति भी दोनों देशों के अजेंडे में है। एके-203 राइफल का उत्‍तर प्रदेश के राजनीतिक रूप से संवेदनशील अमेठी जिले में निर्माण किया जाना है। इससे वहां स्‍थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। यह पूरा सौदा 5,124 करोड़ रुपये का है। दोनों देशों ने तेल,प्राकृतिक गैस, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है, जिसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।</p>
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<a href="https://hindi.indianarrative.com/india-news/know-indo-pak-war-secreats-of-days-bangladesh-liberation-victory-34300.html"><strong>यह भी पढ़ें- 1971 युद्ध, भारत ने महज 13 दिनों में पाकिस्तान का गुरूर किया 'चकनाचूर'</strong></a></p>
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<strong>भारत-रूस संबंध मोदी और पुतिन के बीच विश्वास पर आधारित</strong></p>
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पहली बार भारत ने घरेलू व्यापार में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए रूस को एक अरब डॉलर की सॉफ्ट क्रेडिट लाइन की घोषणा की है। दोनों देश ईरान से होकर उत्तर-दक्षिण गलियारे के पूरक के लिए चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारे को बढ़ावा दे रहे हैं। वे आर्कटिक क्षेत्र सहित उत्तरी समुद्री मार्ग पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें भारत और रूस विशेष परामर्श कर रहे हैं। भारत-रूस संबंध प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच उच्च स्तर के विश्वास और तालमेल पर आधारित हैं। समकालीन भू-राजनीतिक, भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक चुनौतियों से निपटने, क्षेत्रीय, वैश्विक शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में दोनों देशों के हितों का झुकाव आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय सहयोग एवं साझेदारी को और बढ़ाएगा।</p>
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<em><strong>(नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में प्रकाशित लेख के आधार पर)</strong></em></p>
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आईएन ब्यूरो

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