Phoolan Devi: जिंदगी की गाड़ी कब किस मोड़ पर हमें कहां लाकर खड़ा कर दे हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। ऐसा ही कुछ जिंदगी ने फूलन देवी उर्फ दस्यु सुंदरी के साथ किया था। दस्यु सुंदरी के नाम से मशहूर फूलन देवी किसी जमाने में डर का दूसरा नाम हुआ करती थीं। कई बार गैंगरेप, अत्याचार और फिर डाकू से सांसद बनी फूलन की जिंदगी का सफर किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकता है। फूलन देवी की आज यानी 10 अगस्त को 59वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वह अपने जीवन में हुए एक कांड के कारण पूरे देश भर में मशहूर हो गई थीं और इतना ही नहीं वह अपनी मौत के इतने साल बाद तक भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कहीं न कहीं सक्रिय हैं। फूलन देवी के जीवन पर बॉलीवुड में भी एक फिल्म बनी, जिसने लोगों के दिलों दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी थी।
कहां हुआ था फूलन देवी का जन्म?
फूलन देवी (Phoolan Devi) का जन्म जालौन जिले के गांव गोरहा का पुरवा में 10 अगस्त 1963 को एक दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवीदीन था। उस पर भी दादा की मौत के बाद उनके पिता की जमीन को उनके चाचा ने हड़प लिया। चाचा की बेईमानी का पता चलने पर अपने पिता की दूसरी संतान फूलन वहीं धरने पर बैठ गईं और लड़ाई हाथापाई तक आ गई। जिस जमीन के लिए फूलन डाकू बनी वो उनकी मौत के बाद भी उनको नहीं मिल सकी।
अपने गुस्सैल स्वभाव के चलते एक दिन फूलन ने 10 साल की उम्र में जमीन हड़पने वाले अपने चाचा के बेटे के सिर में ईंट मार दी थी। इसी हरकत की सजा के तौर पर 11 साल की उम्र में फूलन की शादी उनसे 30 साल बड़े आदमी से कर दी गई थी। शादी के बाद पति ने उनके रेप किया, धीरे-धीरे फूलन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें मायके आना पड़ गया। कुछ दिन बाद उसके भाई ने उसे वापस ससुराल भेज दिया। ससुराल पहुंचने पर फूलन को पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। पति और उसकी नई पत्नी ने फूलन को बेइज्जत किया, जिसके बाद उन्हें घर छोड़कर आना पड़ा।
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ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग होकर दस्यु बनीं फूलन की मुसीबतें डाकुओं के गैंग में भी कम नहीं हुईं। गिरोह के सरदार ने उनसे जबरदस्ती करने की कोशिश की। फूलन(Phoolan Devi) के साथ इस घटना के बाद पूरी गैंग की संवेदना फूलन के प्रति आ गई और इसी बीच विक्रम मल्लाह नाम के एक गैंग मेंबर ने सरदार बाबू गुर्जर का कत्ल कर दिया और खुद गैंग का सरदार बन गया। विक्रम मल्लाह की गैंग में दो सगे भाई श्री राम और लाला राम ठाकुर भी थे। कहा यही जाता है कि इन दोनों ने बाद में विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी और फूलन को अपने गांव बेहमई उठा लाए। यहीं पर फूलन के साथ उन्होंने बारी-बारी से रेप किया। गैंग के बाकी सदस्यों की मदद से वह छिपते हुए बेहमई से भी भाग निकलीं और खुद का गैंग बना लिया। जिसकी सरदार फूलन बनीं। बाद में उन्होंने इसी गांव के 21 ठाकुरों की प्रतिशोध में गोली मारकर हत्या कर दी।