Hindi News

indianarrative

Alt News और मोहम्मद जुबैर का एजेंडा जानेंगे तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी- देखें Exclusive जानकारी

यह है मोहम्मद जुबैर का असली चेहरा!

एमबीबीएस किए बिना कोई डॉक्टर नहीं बन सकता, इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल किए बिना कोई इंजीनियर नहीं सकता। वकालत की पढ़ाई और आल इंडिया बार काउंसिल का एक्जाम पास किए बिना कोई एडवोकेट नहीं हो सकता लेकिन भारत में कोई भी ऐरा-गैरा जर्नलिस्ट बन सकता है। वो सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया और वेबमीडिया पर ऐसी ऊल-जलूल खबरें प्रसारित-प्रचारित कर सकता है जिससे देश की एकता अखण्डता को खतरा पैदा हो।

इलेक्ट्रॉनिक्स का इंजीनियर बन गया फैक्ट चेकर?

इसका उदाहरण मोहम्मद जुबैर है। कई बरसों तक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियो में काम करने और देश विदेश के दौरे करता है, और अचानक एक दिन फैक्ट चेकर जर्नलिस्ट बन जाता है और एक दिन नूपुर शर्मा के टीवी शो की बहस के एक हिस्से को डिस्टॉर्ट कर दुनिया में प्रसारित कर देता है। जिससे न केवल देश में सांप्रदायिकता और कट्टरता का माहौल पनपता है बल्कि दुनिया भर में एक भ्रामक खबर पर सरकार को सफाई देनी पड़ती है।

इंडिया में कोई भी ऐरा-गैरा चाहे तो जर्नलिस्ट बन जाए!

क्या कोई जर्नलिस्ट, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर बन सकता है, क्या वो सिविल इंजीनियर बन सकता है? जवाब साधारण सा है कि कोई जर्नलिस्ट जर्नलिज्म कर सकता है- अगर रिपोर्टिंग-कवरेज करनी है तो वो इलेक्ट्रॉनिक इवेंट की कवरेज कर सकता है, वो भी उन जानकारियों के आधार पर जो उसे प्रोवाइड करवाई गई हैं। लेकिन इंडिया में कोई भी जर्नलिस्ट बन सकता है चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक्स में डिग्री लेने के बाद टेलिकॉम कंपनी का नौकर हो या फिर सड़क किनारे बाइक ठीक करने वाला या पंचर लगाने वाला मिस्त्री ही क्यों हो?

जुबैर की कहानी सुनकर घ्रणा-क्षोभ और गुस्सा आ जाए!

बस, किसी भी नाम से इंटरनेट पर डोमेन बनाओ और जर्नलिस्ट बन जाओ। जर्नलिस्ट ही नहीं खबरों के फैक्ट चैक करने वाले जर्निल्सट। जी हां, ऐसे ही एक शख्स का नाम है मोहम्मद जुबैर। शातिर मोहम्मद जुबैर की कहानी सुनेंगे तो अच्छे-अच्छे जर्नलिस्ट  घ्रणा-क्षोभ और गुस्से से भर उठेंगे। इसका शातिरपन देखिए कि इसने सु्प्रीम कोर्ट को भी भ्रम में डाल दिया। सुप्रीम कोर्ट के सामने उसके वकीलों ने दलीलें दीं कि मोहम्मद जुबैर एक पत्रकार है, और उसे सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का अधिकार है। यह उसकी अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है।  वो अपनी अभिव्यक्ति सोशल-मीडिया हो या वेब मीडिया किसी पर भी व्यक्त कर सकता है।  वो मीडिया में चल रही खबरों के फैक्ट चैक कर सच्चाई को देश-दुनिया के सामने लाने का अधिकार रखता है। मोहम्मद जुबैर को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।

जर्नलिस्ट बनकर हासिल कर ली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने भी जुबैर को फैक्ट चेकर जर्नलिस्ट मान लिया और उसके खिलाफ सभी मामलों में जमानत दे दी। मोहम्मह जुबैर इंडिया के हजारों मीडियाकर्मियों-मीडिया संस्थानों ही नहीं बल्कि सरकारी मशीनरी के मुंह पर तमाचा सा मार कर ठसके से तिहाड़ जेल से बाहर आ गया। पता तो चला है कि रिहा होते ही वो अपनी मुहिम में फिर से जुट गया है।

कौन है मोहम्मद जुबैर

अब हम बताते हैं कि अल्ट न्यूज चलाने वाला यह मोहम्मद जुबैर कौन है? मोहम्मद जुबैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के खिलाफ कैंपेन चलाने वाली टीम का एक बड़ा हिस्सा और स्वयंभू फैक्ट चेकर है। लगभग 40 साल की उम्र के इस स्वयं भू फेक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर का जन्म बैंग्लुरु का रहने वाला है।  मोहम्मद जुबैर ने एमएस रमईहा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से टेलिकॉम इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री 2005 में हासिल की है। मोहम्मद जुबैर के परिवार में माता-पिता बच्चे और पत्नी हैं। बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद जुबैर ने दो साल तक बैंग्लुरु के ही एयरटेल एंटरप्राइजेज में काम किया। एचसीएल की सिस्टर कंसर्न सिसको में एक साल काम किया। फिर उसने 2008 में नोकिया सिमेंस में काम किया। विभिन्न कंपनियों में काम करते हुए उसे देश के विभिन्न शहरों और मेट्रोज रहने का मौका मिला। जुबैर ने एनएसन में भी लगभग एक दशक तक काम किया।

गुजरात दंगों के नाम पर देश के खिलाफ कैंपेन चलाने वाली प्रावदा और एल्ट न्यूज

इसी दौरान जुबैर की मुलाकात प्रावदा फाउंडेशन के डायरेक्टर प्रतीक सिन्हा और उनकी मां निहारिका सिन्हा से मुलाकात होती है। यह बात 2015 की है। यह प्रतीक मिश्रा वही हैं जिनके पिता मुकुल सिन्हा गुजरात में 2002 में हुए दंगो को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान में जुटे हुए थे। जुबैर और सिन्हा एंड संस यानी प्रावदा ने मिलकर एक स्वयंभू फैक्ट चेकिंग वेबसाइट बनाई और इसका नाम रखा। अल्ट न्यूज (Alt News)। अल्ट न्यूज की सोकॉल्ड फैक्ट चेकिंग खबरों को तेजी से फैलाने के लिए इन लोगों ने ट्विटर का इस्तेमाल किया। अल्ट न्यूज इसके बाद भारत सरकार के खिलाफ गलत सूचनाएं प्रसारित करना शुरू कर दिया। इतना नही अल्ट न्यूज ऐसी तमाम खबरें फैलाने में जुट गया जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव फैले।

 टीवी पर चर्चा के एक हिस्से को 'डिस्टॉर्ट' कर फैलाया, देश में सांप्रदायिकता और कट्टरता को दिया जन्म!

खास बात यह कि नूपुर शर्मा के कथित विवादित बयान को तोड़-मरोड़ कर दुनिया में फैलाने का काम भी इसी अल्ट न्यूज ने किया। इसी संबंध में उत्तर प्रदेश के छह अलग-अलग स्थानों पर जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गईं। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार के काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जुबैर जर्नलिस्ट नहीं है। उसने फर्जी ट्वीट्स के जरिए 2 करोड़ से ज्यादा रुपये कमाए हैं। अफसोस, उत्तर प्रदेश सरकार के काउंसेल की दलीलों को अनसुना कर दिया गया और खबरों को तोड़-मरोड़ कर दुनिया के सामने पेश करने वाला मोहम्मद जुबैर तिहाड़ की सलाखों से बाहर आ गया।