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Farmers Bill 2020: दिल्ली की दहलीज पर खड़े किसानों के पीछे कौन MSP-APMC या कोई और?

किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं? कृषि सुधार कानून (Farmers Bill 2020) किसानों के हित में नहीं हैं? दिल्ली की दहलीज पर खड़े किसानों के पीछे आखिर कौन है? दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हरियाणा और कांग्रेस के किसानों के हुजूम से ऐसा मालूम होता है कि मोदी सरकार किसानों की दोस्त नहीं दुश्मन है! <a href="https://hindi.indianarrative.com/krishi/gangs-were-taking-advantage-of-the-compulsion-of-farmers-under-the-guise-of-laws-pm-modi-13062.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer"><strong><span style="color: #0000ff;">मोदी सरकार</span></strong></a> ने हाल ही में कृषि सुधार (Farmers Bill 2020) के लिए जो तीन कानून बनाए हैं वो किसान के लिए नहीं बल्कि कॉर्पोरेट के फायदे के लिए हैं। सरकार ने सिर्फ 23 फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) घोषित किया है। जबकि एमएसपी (MSP) देश की सभी फसलों के लिए होना चाहिए।  सरकार ऐसा कृषि सुधार कानून ((Farmers Bill 2020) लेकर आए जिससे किसानों का भला हो। देश के एग्रो-इकोनॉमिस्ट देवेंद्र शर्मा का कहना है कि देश में पिछले 73 साल से किसानों का शोषण हो रहा है। यह सरकार भी किसानों के लाभ के नाम पर कॉर्पोरेट का भला करने के कानून बना रही है। देवेंद्र शर्मा का कहना है कृषि सुधार कानून (Farmers Bill 2020) विदेशों की नकल हैं। बदनाम किसानों को किया जा रहा है। किसान आंदोलन स्वतः स्फूर्त है। महीनों से सड़कों पर बैठे किसानों को अब धार्मिक-सामाजिक और स्वैच्छिक संगठनों का भी सहयोग मिलने लगा है। किसानआंदोलन न राजनीतिक है और न राजनीति से प्रेरित है। किसान तो चाहते हैं कि उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य मिलता रहे। नये कानूनों में सरकार ने कॉर्पोरेट के लिए खेत-खलिहानों के रास्ते खोल दिए हैं। खेत-किसान और फसल की सुरक्षा के लिए उचित कदम नहीं है।

देवेंद्र शर्मा का कहना है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एमएसपी का लाभ केवल 6 फीसदी किसान ही उठा पाते हैं। इन हालातों में 94 किसानों के लिए सरकार क्या नया कर रही है। अगर सरकरा कहती है कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए आजाद है तो यह भी कानून होना चाहिए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल खरीदने वालों को सीधे जेल का प्रावधान होना चाहिए। देवेंद्र शर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में पेडी का सही मूल्य किसानों को मिलता ही नहीं। वो लोग पंजाब की मंडियों में आकर अपनी फसलें बेचते हैं। उत्तर प्रदेश में सरकारी अनाज खरीद केवल 7 फीसदी और बिहार में सिर्फ 1 फीसदी सरकारी खरीद होती है। अगर सरकार की एमएसपी नीति सही होती तो किसान सरकार को ही फसल बेचते।

देवेंद्र शर्मा का यह भी कहना है कि सरकार को न्यूनतम समर्थन नीति से आगे बढ़कर न्यूनतम आय नीति पर आना चाहिए। देश की सिर्फ 23 फसलों पर ही क्यों, सभी फसलों पर एमएसपी होना चाहिए। किसानों को बुवाई से पहले पता होना चाहिए कि उसकी फसल किस दाम पर बिकेगी। देवेंद्र शर्मा का यह भी कहना है कि अमेरिका और यूरोप के नाकाम मॉडल्स को ही भारत में क्यों लागू किया जाता है? उनका आक्रोश इस बात को लेकर भी है कि भारत के अर्थशास्त्री न पढ़ते-लिखते हैं और न ही शोध करते हैं। भारत के 'एग्रो-इकोनॉमिस्ट लेजी' हैं। सरकार इन्हीं लेजी इकोनॉमिस्ट की बातों में आकर कानून बना देती है।

एग्रो-इकोनॉमिस्ट देवेंद्र शर्मा के तर्कों पर सरकारी पक्ष यह है कि सरकार ने किसी भी देश के मॉडल को कॉपी नहीं किया है। अलबत्ता देश और विदेशों की कृषि नीतियों का अध्ययन करने के बाद कानून बनाया है। सरकार का यह भी कहना है कि किसी भी कानून में संशोधन की गुंजाइश हमेशा रहती है। इसके लिए आंदोलन करने या किसानों की आड़ में राजनीति करने की आवश्यकता नहीं है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि सरकार किसानों से हमेशा से बातचीत के लिए राजी है।

सरकार ने किसान प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए तीन दिसंबर की तारीख निर्धारित की है। सरकार ने आजादी के 73 साल बाद किसानों को अपनी मर्जी और अपनी कीमत पर फसल बेचने की अनुमति दी है। सरकार ने सारे बैरियर हटा दिए हैं। किसान चाहे तो सरकारी मंडियों में अपनी फसल बेचे या फिर किसी अन्य स्थान पर। नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी स्पष्ट किया है कि मंडी समितियां खत्म नहीं की जाएंगी। सरकार ने जो नए कानून बनाए हैं वो एक वैकल्पिक व्यवस्था है। किसान चाहे तो फसल उगाने से पहले ही व्यापारी से अपनी शर्तों पर एग्रीमेंट कर सकता है। फसल उगाने से पहले ही किसान कुछ रकम एडवांस ले सकता है। फसल सुरक्षा बीमा किसान और व्यापारी दोनों की सहमति से किया जा सकता है। किसान को उसकी फसल का पैसा पहले भी मिल सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि नए <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_farm_reforms_2020"><strong><span style="color: #0000ff;">कृषि कानून</span></strong></a> किसानों के हित में हैं। कुछ राजनीतिक दल अपने हितों के लिए किसानों को बरगला रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी जो कह रहे हैं वो कानून की किताब में क्यों नहीं है। किसान आंदोलन से इतर एक किसान नेता का कहना है कि मौजूदा किसान आंदोलन की वजह नए कृषि कानून नहीं बल्कि पंजाब-हरियाणा के किसानों के हित हैं। उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सरकारी खरीद में घोटाला होता है। जब सरकार किसानों की फसल नहीं खरीदती तो उन्हें पंजाब और हरियाणा की ओर रुख करना पड़ता है। मंडियों में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से ज्यादा आवक हो जाने के कारण फसलों की कीमतें सरकारी दामों पर ही आकर टिक जाती हैं। जिससे पंजाब और हरियाणा के किसानों की बारगेन पॉवर खत्म हो जाती है।.

सतीश के. सिंह

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