सितंबर के दूसरे पखवाड़े में देश के मध्य और पश्चिमी इलाकों में भारी बारिश के पूर्वानुमान के कारण खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। सरकार द्वारा संचालित मौसम कार्यालय ने कहा कि सितंबर के पहले सप्ताह में कमजोर हो चुका मानसून अब भारत के अधिकांश हिस्सों में जोर पकड़ेगा।
इसके कारण देश के कुछ प्रमुख खेतिहर इलाकों में भारी बारिश की उम्मीद है। मानसून की बारिश भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग 70% प्रदान करता है। इस बार मानसून के बेहतर रहने के कारण किसानों ने खरीफ की फसलों जैसे चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन और गन्ना की रिकॉर्ड बुवाई किया है।
वार्षिक मानसूनी बारिश के मौसम के पहले महीने जून में बारिश औसत से 17% अधिक थी, लेकिन जुलाई की बारिश औसत से 10% कम थी। अगस्त में मानसून ने फिर से जोर पकड़ा और औसत से 27% ज्यादा था।
अगस्त में हुई भारी बारिश ने कपास, दलहन और सोयाबीन जैसी फसलों को कुछ नुकसान पहुंचाया। किसी भी आधिकारिक अनुमान के अभाव में व्यापार, उद्योग जगत और सरकारी अधिकारियों का मानना है कि बारिश का प्रभाव केवल स्थानीय स्तरों पर था और नुकसान व्यापक नहीं था।
लेकिन इस महीने के अंत में अगर भारी बारिश हुई तो व्यापक नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि यह वह समय होता है जब फसलें पकती हैं। कृषि विशेषज्ञों और उद्योग जगत के लोगों का मानना है कि ज्यादा तेज बारिश से सोयाबीन और मूंगफली जैसी फसलों को नुकसान होगा, जिनको अब अपेक्षाकृत शुष्क मौसम की जरूरत होती है। इसके बावजूद आज के हिसाब से अभी भी सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल के 9.3 मिलियन टन से अधिक हो सकता है।
अगले दो हफ्तों में अगर अत्यधिक वर्षा होती है, तो कपास की पैदावार और गुणवत्ता दोनों को नुकसान होगा। कुछ दलहनी फसलों को अगस्त में थोड़ा नुकसान हुआ था और अब इस महीने के उत्तरार्ध में भारी बारिश दलहन के किसानों की चिंता विषय है।.
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