केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नई दिल्ली में हुए राज्यों के वन मंत्रियों के सम्मेलन में कहा कि अधिकतम कार्बन स्टॉक के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) वनों की गुणवत्ता और पेड़ों से आच्छादित क्षेत्र के विस्तार पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चार घंटे तक चली इस बैठक में पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो, मंत्रालय के अन्य अधिकारियों, अरुणाचल प्रदेश और गोवा के मुख्यमंत्रियों, विभिन्न राज्यों के उप मुख्यमंत्रियों और 24 वन मंत्रियों ने हिस्सा लिया।
बैठक में जावडेकर ने कहा कि सरकार ने कई पहल की हैं और विभिन्न योजनाओं को लागू किया है। जिसमें व्यापक वृक्षारोपण अभियान, नगर वन योजना के माध्यम से शहरी वनों को प्रोत्साहन देना, भू-दृश्य आधार पर 13 बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को दुरुस्त करना, मृदा नमी संरक्षण परियोजनाओं के लिए खराब गुणवत्ता वाले वन क्षेत्र का एलआईडीएआर आधारित सर्वेक्षण और वन उपजों की सुगम आवाजाही के लिए नेशनल ट्रांजिट पोर्टल का शुभारम्भ शामिल है।
जावडेकर ने जोर देकर कहा कि वनीकरण और वृक्षारोपण के लिए विशेष रूप से सीएएमपीए कोषों का उपयोग किया जाना चाहिए। बैठक के दौरान केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, “मैं घोषणा करता हूं कि वनीकरण के 80 प्रतिशत कोष को सिर्फ वनीकरण/ वृक्षारोपण के लिए उपयोग किया जाएगा और शेष 20 प्रतिशत को क्षमता निर्माण आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है। केन्द्र सरकार ने अगस्त, 2019 में विभिन्न राज्यों को वनीकरण के लिए 47,436 करोड़ रुपये का वनीकरण कोष जारी किया था। मंत्रालय जल्द ही स्कूल नर्सरी योजना भी लागू करने का ऐलान करने जा रहा है।”
बैठक में वन और अन्य विभागों, एनजीओ, कॉरपोरेट बॉडीज, उद्योगों आदि एजेंसियों की भागीदारी के साथ एक भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण के साथ वन भूमि पर 200 नगर वन के निर्माण के लिए नगर वन योजना लागू पर विचार विमर्श किया गया। नगर वन योजना की घोषणा विश्व पर्यावरण दिवस पर की गई थी। शुरुआत में मंत्रालय फेंसिंग (बाड़ लगाने) और मिट्टी में नमी बढ़ाने के कार्यों के लिए अनुदान देगा।
चार घंटे तक चली बैठक के दौरान स्कूल नर्सरी योजना पर विस्तार से चर्चा की गई। इस योजना के उद्देश्यों में नर्सरी और वृक्षारोपण अभियान में कम उम्र से ही स्कूली विद्यार्थियों को जोड़ना शामिल है। इस योजना का उद्देश्य युवा विद्यार्थियों के मन में वन और पर्यावरण की भावना जाग्रत करना है। योजना के दिशानिर्देश जल्द ही राज्यों के साथ साझा किए जाएंगे।
जावडेकर ने बैठक के दौरान 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प के लिए आईसीएफआरई को दिए गए अध्ययन कार्य का उल्लेख किया, जिससे नदियों से सटे इलाकों में वनों को प्रोत्साहन, भूजल में बढ़ोतरी और कटाव में कमी शामिल है।
बैठक के एजेंडे में एलआईडीएआर तकनीक और देश भर में नेशनल ट्रांजिट पोर्टल का शुभारम्भ शामिल थे। एलआईडीएआर तकनीक से एक हवाई सुदूर संवेदन विधि है जिससे मृदा और जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण के लिए निम्न कोटि की भूमि की पहचान में सहायता मिलेगी। वहीं नेशनल ट्रांजिट पोर्टल वन उपज की सुगम अंतर राज्यीय ढुलाई को प्रोत्साहन देने में सहायक होगा, जिसका पायलट परियोजना के रूप में हाल में शुभारम्भ किया गया था।
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