प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान बिलों पर मचे घमासान के बीच एक बार फिर विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने बगैर किसी दल का नाम लिए विपक्ष पर किसानों के मुद्दे पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा कि किसानों से हमेशा झूठ बोलने वाले कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ की वजह से किसानों को भ्रमित करने में लगे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर शुक्रवार को भाजपा कार्यकतार्ओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए कहा, "ये लोग अफवाहें फैला रहे हैं। किसानों को ऐसी किसी भी अफवाह से बचाना भाजपा कार्यकतार्ओं की जिम्मेदारी है। हमें किसान के भविष्य को उज्‍ज्वल बनाना है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद से पास हुए किसानों से जुड़े बिलों को लेकर कहा, "अब दशकों बाद किसान को अपनी उपज पर सही हक मिल पाया है। कृषि में जो सुधार किए हैं उसका सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा। किसानों को कर्ज लेने की मजबूरी से बाहर निकालने के लिए हमने एक अहम काम पूरी ताकत से शुरू किया है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को मिले लोन के आंकड़े जारी कर एनडीए और यूपीए सरकार में फर्क बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यूपीए सरकार के पिछले 6 साल में किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा किसानों को करीब 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था। भाजपा सरकार के 5 वर्ष में किसानों को लगभग 35 लाख करोड़ रुपये केसीसी के माध्यम से दिए गए हैं। सरकार ने इस बात का भी प्रयास किया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हो, उन्हें खेती के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "पहले सिर्फ उसी किसान को केसीसी का लाभ मिलता था जिसके पास 2 हेक्टेयर जमीन हो। हमारी सरकार इसके दायरे में देश के हर किसान को ले आई है। बीते सालों में ये निरंतर प्रयास किया गया है कि किसान को बैंकों से सीधे जोड़ा जाए। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिक के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े-बड़े घोषणापत्र लिखे गए, लेकिन समय की कसौटी ने सिद्ध कर दिया है कि वो सारी बातें कितनी खोखली थीं। देश इन बातों को भली-भांति जानता है। किसान और श्रमिक के नाम पर देश में, राज्यों में अनेकों बार सरकारें बनीं लेकिन उन्हें मिला क्या? सिर्फ वादों और कानूनों का एक उलझा हुआ जाल। एक ऐसा जाल, जिसको ना तो किसान समझ पाता था और ना ही श्रमिक।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि "किसानों को ऐसे कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण वो अपनी ही उपज को,अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था। नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी। हां, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है, तब गरीबों को, दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मजदूरों को उनका हक देने का बहुत ऐतिहासिक काम हुआ है।"
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