इस मास की गणेश चतुर्थी अंगारक चतुर्थी कहलाई जाएगी। क्योंकि चतुर्थी तिथि मंगलवाल की सांय 4 बज कर 38 मिनट पर शुरू हो रही है। अगर आप अपने घर के दुख-क्लेश से मुक्ति पाना चाहते हैं या फिर बिजनैस-व्यापार में उन्नत्ति चाहते हैं तो अभी से भगवान विनायक गणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रयोजन शुरु कर दें।
साल भर में आने वाली 4बड़ी चतुर्थी में से एक वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की भी होती हैं। मंगलवार को चतुर्थी होने से इसे अंगारक चतुर्थी भी कहा जाएगा। इसे साल की सबसे बड़ी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन कुछ उपायों मात्र से आप अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। गणेश की कृपा से ही लक्ष्मीजी का आशीर्वाद मिलेगा।
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए
यदि आप अपने आप में आत्मविश्वास में कमी अनुभव कर रहे हैं तो मंगलवार को स्नान आदि के बाद श्री गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करें और गणेश जी को लाल सिंदूर से तिलक लगाएं। साथ ही भगवान को गुड़ और घी का भोग लगाएं। आज ऐसा करने से आपके जीवन में आत्मविश्वास हमेशा बरकरार रहेगा।
दाम्पत्य जीवन में खुशहाली के लिए
दाम्पत्य जीवन में खुशहाली के लिए एक थाली या केले का पत्ता लीजिए और उस थाली या पत्ते पर रोली से एक त्रिभुज बनाएं। अब उस त्रिभुज के ऊपर के कोने एक दीपक जलाएं और उसके बीच में 900ग्राम मसूर की दाल और सात खड़ी, यानी साबुत लाल मिर्च रखें, और ‘अग्ने सखस्य बोधि नः’ मंत्र को 108 बार पढ़ें। आपके दापंत्यजीवन में खुशहाली बनी रहेगी।
इस उपाय से मेहनत नहीं जाएगी बेकार
अगर आपके बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं, मेहनत के बाद सफलता नहीं मिल रही है तो अंगारकी चतुर्थी के दिन श्री गणेशाय नम: का कम से कम 1 लाख जप करें। यह सोच लें कि एक दिन आपने भगवान विनायक को समर्पित कर दिया और रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला लेकर दिन-भर श्री गणेशाय नम: का जाप करें, अगले दिन से ही चमत्कार देखें। जाप पूरा होने के बाद भगवान को लाल पुष्प जरूर अर्पित करें।
अब तक का सारा कर्ज उतर जाएगा, मन खुश हो जाएगा
किसी भी कारण से कर्ज बहुत हो गया है और निपट नहीं रहा है। लेनदारों ने जीना मुश्किल कर दिया है तो केले का पत्ता लें और उसपर त्रिकोण बना लें और उस त्रिकोण के आगे नीम की 27पत्तियां रख पत्तियों के साथ ही केले के पत्ते के आगे दीपक भी जलाइए और ‘अग्ने सख्यं वृणीमहे’का 1008बार जप करें।
अन्य समस्याओं के लिए वही लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला लेकर ऊँ गं गणपतये नमः का 1008 बार जप करें। जप पूरा होने के बाद लाल पुष्प अर्पित करें और मोदक का भोग लगाएं। पहले खुद लें और फिर अन्य लोगों में बांट दें।