Bhaum Pradosh Vrat: भौम प्रदोष व्रत आज, इस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा, जानें महत्व और पूजा विधि

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आज प्रदोष व्रत है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार रखा जाता है। जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उस दिन के नाम से ही प्रदोष व्रत जाना जाता है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी को रखा जाता है। कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी भगवान शंकर को समर्पित होती है। मान्यता है कि भगवान शिव की इस दिन पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चैत्र में पड़ने वाले प्रदोष व्रत पर विशेष संयोग बन रहा है। इस बार प्रदोष व्रत के बाद मासिक शिवरात्रि पड़ रहा है। जिस कारण शिव भक्तों के लिए इसका महत्व बढ़ जाता है।</p>
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<strong>भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त</strong></p>
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आज दोपहर 2:38 बजे से शुरु होकर 30 मार्च 2022, बुधवार की दोपहर 1:19 मिनट तक रहेगी।</p>
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प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय सायंकाल 6:37 से रात्रि 8:57 बजे तक रहेगा।</p>
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<strong>इस दिन क्या करें</strong></p>
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चैत्र महीने के दोनों पक्षों में किया जाने वाला प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण होता है। इन दिनों में भगवान शिव को खासतौर से जल चढ़ाया जाता है। मंदिरों में शिवलिंग को पानी से भरा जाता है। चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत में भगवान शिव को गंगाजल और सामान्य जल के साथ दूध भी चढ़ाया जाता है।</p>
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<strong>भौम प्रदोष का महत्व</strong></p>
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प्रदोष व्रत का महत्व हफ्ते के दिनों के अनुसार अलग-अलग होता है। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत और पूजा करने से उम्र तो बढ़ती ही है लेकिन, साथ ही सेहत भी अच्छी रहती है। इस व्रत के प्रभाव से बीमारियां भी दूर हो जाती है। इसके साथ ही किसी भी तरह की शारीरिक परेशानी नहीं रहती है। इस दिन शिव-शक्ति पूजा करने से दाम्पत्य सुख बढ़ता है। मंगलवार को प्रदोष व्रत और पूजा करने से परेशानियां भी दूर होने लगती हैं। भौम प्रदोष का संयोग कई तरह के दोषों को दूर करता है। इस संयोग के प्रभाव से तरक्की मिलती है। इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।</p>
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<strong>प्रदोष व्रत की पूजा विधि</strong></p>
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इस दिन की पूजा विधि की बात करें तो इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। ये व्रत निर्जल यानी बिना पानी के किया जाता है। इस व्रत की विशेष पूजा शाम को की जाती है। इसलिए शाम को सूरज के डूबने से पहले एक बार फिर नहा लेना चाहिए। साफ सफेद रंग के कपड़े पहन कर पूर्व दिशा में मुंह कर के भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। पूजा की तैयारी करने के बाद उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह रखकर भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए। व्रत के लिए त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं।</p>
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शिवजी की पूजा और व्रत-उपवास रखने का संकल्प लें। सूरज डूबने से पहले नहाकर सफेद और साफ कपड़े पहनें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। फिर, मिट्टी से शिवलिंग बनाकर साथ में देवी पार्वती की भी पूजा करें। इस दिन भगवान शिव-पार्वती को जल, दूध, पंचामृत से स्नान वगैराह कराएं। बिलपत्र, पुष्प , पूजा सामग्री से पूजन कर भोग लगाएं। भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र, धतुरा, फूल, मिठाई, फल का उपयोग करें। भगवान शिव-पार्वती की पूजा के बाद धूप-दीप दर्शन करवाएं। </p>

आईएन ब्यूरो

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