Chaitra Navratri 2021: इस मंदिर में मां दुर्गा को होते है पीरियड्स, प्रसाद में दिया जाता है लाल पानी और मासिक धर्म में इस्तेमाल हुआ कपड़ा

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हिंदू धर्म में अगर कोई महिला मासिक धर्म यानी पीरियड्स से हो जाए, तो वो अपवित्र हो जाती है। वो न तो धार्मिक कार्य को कर सकती और न ही व्रत रख सकती। लेकिन आज हम आपको माता रानी का एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां मां खुद मासिक धर्म से होती है। यहां महिलाओं का पीरियड्स में आना शुभ माना जाता है। इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी मंदिर है। ये मंदिर असम की राजधानी दिसपुर में स्थित है और  नीलांचल पर्वत पर मौजूद है। माना जाता है कि इस स्थान पर देवी सती का गर्भ और योनि गिरी थी। इस वजह से यहां मातारानी को तीन दिनों तक पीरियड्स होते है और उन दिनों में मंदिर की शक्ति कहीं ज्यादा बढ़ जाती है।</div>
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मंदिर को लेकर कहा जाता है कि हर साल जून के महीने में मां कामाख्या देवी अपने मासिक चक्र में होती है। इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल रंग का हो जाता है। इस दौरान तीन दिनों तक मंदिर बंद रहता है, लेकिन नदी के लाल जल को भक्तों के बीच प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। जब मां के मासिक धर्म का समय आता है तो मंदिर के पुजारी सफेद रंग का कपड़ा बिछा देते है। तीन दिन बाद जब मंदिर के द्वार खोले जाते हैं तो ये कपड़ा लाल रंग का मिलता है। इसे अम्बुवाची वस्त्र कहा जाता है। इस कपड़े को भी भक्तों के बीच प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। </div>
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कामाख्या मंदिर मां दुर्गा के 108 शक्तिपीठों में प्रमुख है। मंदिर के अंदर मां के योनि रूप को साड़ी में लपेटकर फूलों के श्रंगार के साथ सजाया जाता है। साल में दो बार यानि आंबुची मेले और दुर्गा पूजा के मौके पर कामाख्‍या देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मां के दर्शन को जुटती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र के साथ मां सती को काट दिया था। देवी सती का योनि भाग कामाख्या में गिरा था। जहां-जहां सती के अंग या धारण किए हूए वस्त्र और आभूषण गिरे थे वहां पर शक्तिपीठ अस्तित्व में आए। इस तीर्थस्थल पर देवी सती की पूजा योनि के रुप में की जाती है जबकि यहां पर कोई देवी की मूर्ति नहीं है। यहां पर सिर्फ एक योनि के आकार का शिलाखंड है। जिस पर लाल रंग के गेरू की धारा गिराई जाती है। </div>

आईएन ब्यूरो

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